पीसीसी चीफ दीपक बैज का मोबाइल अब तक गुम , बेटे के बचपन की यादें भी चली गईं

छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज का मोबाइल फोन अब तक नहीं मिला है, लेकिन सवालों की फेहरिस्त लगातार लंबी होती जा रही है. 29 जून को कांग्रेस भवन में आयोजित एनएसयूआई की बैठक के दौरान उनका मोबाइल गायब हो गया. एक महीना गुजर गया, लेकिन न पुलिस के हाथ कुछ लगा, न सिस्टम में कोई हलचल दिखी.

बैज ने खुद बताया कि उस मोबाइल में उनके बेटे के बचपन की अनमोल तस्वीरें और वीडियो थे, जो कहीं और सेव नहीं किए गए थे. यानी मोबाइल न मिलने की स्थिति में सिर्फ एक डिवाइस नहीं, बल्कि कई यादें मिट जाएंगी.

कांग्रेस भवन में बैठक से गायब हुआ मोबाइल: बैठक में कांग्रेस के दिग्गज नेता मौजूद थे, विधायक देवेंद्र यादव उनके पास ही बैठे थे. दो मोबाइल टेबल पर रखे थे, लेकिन जब बैठक खत्म हुई और बैज बाहर निकल पत्रकारों से बात करके लौटे, तो उन्हें अहसास हुआ – मोबाइल गायब है.

उन्होंने और वहां मौजदू कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने फोन ढूंढना शुरू किया. फोन पर कॉल किया गया लेकिन फोन बंद मिला. पुलिस को सूचना दी गई, खम्हारडीह थाने की टीम मौके पर पहुंची. पूछताछ हुई, लेकिन कार्रवाई सिर्फ “शिकायत” तक सीमित रही. मोबाइल चोरी की FIR नहीं दर्ज हुई. हैरानी की बात यह कि कांग्रेस भवन में घटना हुई, लेकिन शिकायत में स्थान शंकर नगर चौक बताया गया.

अब सवाल उठते हैं-

• अगर मोबाइल गुम हुआ था, तो इतने दिन बाद भी क्यों नहीं मिला?

• और अगर चोरी हुआ है, तो फिर FIR क्यों नहीं?

• क्या कांग्रेस भवन जैसी जगह पर भी लोगों के मोबाइल सुरक्षित नहीं हैं?

• अगर पीसीसी चीफ का मोबाइल न मिल सके, तो आम जनता क्या उम्मीद करे?

दीपक बैज ने बताया कि डिवाइस में कोई संवेदनशील या राजनीतिक डेटा नहीं था, लेकिन बेटे की यादें थीं, जो अब शायद लौट नहीं सकेंगी. कुछ डेटा उन्होंने नए मोबाइल में रिकवर जरूर किया, पर सारी फाइलें नहीं मिल सकीं.

पुलिस का जवाब क्या है?: रायपुर ग्रामीण एएसपी कीर्तन राठौर ने बताया “शिकायत गुमशुदगी की है, न कि चोरी की, इसलिए FIR दर्ज नहीं हुई है. मोबाइल को सर्विलांस में डाल दिया गया है, जैसे ही कोई चालू करेगा, सिस्टम अलर्ट करेगा.”

पर अब सवाल ये है कि जब मामला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का है, तो जांच में ये सुस्ती क्यों? क्या जांच सिर्फ दिखावे के लिए हो रही है? या फिर कोई “अनदेखा दबाव” पुलिस की कार्रवाई को रोक रहा है? राजनीतिक गलियारों में भी इस मुद्दे पर हलचल है. कोई इसे लापरवाही बता रहा है, तो कोई इसे सोची-समझी चाल.दीपक बैज का मोबाइल भले अब तक न मिला हो, लेकिन छत्तीसगढ़ की कानून-व्यवस्था और साइबर निगरानी तंत्र की पोल जरूर खोल चुका है, कि जब VIP सुरक्षित नहीं, तो आम आदमी का क्या होगा?

 

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