पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा के लिए बुधवार का दिन काफी अहम रहा. राज्य में स्थायी शांति लाने का बड़ा प्रयास सफल हुआ है. केंद्रीय मंत्री अमित शाह, त्रिपुरा के सीएम माणिक साहा और त्रिपुरा के दो उग्रवादी संगठनों के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए. इसका मकसद राज्य में स्थायी शांति लाना और विकास की नई इबारत लिखना है. गृह मंत्रालय में सरकार और एनएलएफटी (नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा) व एटीटीएफ (ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए.
गृहमंत्री अमित शाह ने इस दौरान कहा कि इस समझौते से इन दोनों संगठनों के 328 लोग मुख्यधारा में आएंगे. उन्होंने इस इलाके के लिए 250 करोड़ रुपये के पैकेज की भी कही. उन्होंने कहा कि समझौते का फुल स्टॉप से कॉमा तक पालन होगा. आज हम सबके लिए आनंद का विषय है. 35 साल से जो संघर्ष चल रहा था, वो खत्म हो गया है.
पीएम मोदी की लीडरशिप से संभव हुआ
उन्होंने कहा कि शांति और संवाद के जरिए ये हो सका है. ये पीएम मोदी की लीडरशिप से संभव हुआ है. पीएम मोदी ने नॉर्थ ईस्ट से दिलों का फासला दूर किया. आज बहुत बड़ा माइलस्टोन है. नॉर्थ ईस्ट का 12वां समझौता है. त्रिपुरा का तीसरा समझौता है. 10 साल में 10 हजार लोग हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं.
उन्होंने कहा कि समझौता कागज का टुकड़ा नहीं बल्कि दिलों का मेल है. भारत सरकार की सभी योजनाएं इन संगठनों पर लागू होंगी. त्रिपुरा से ही समझौते की शुरुआत हुई और आज ये 12वां समझौता हुआ. 2024 में चुनाव के बाद ये समझौता हुआ है. AFPSA कानून पूरे त्रिपुरा से हटा लिया गया है.
10 हजार लोग मुख्यधारा में वापस लौटे
अमित शाह ने कहा कि उग्रवाद, हिंसा और संघर्ष से मुक्त विकसित पूर्वोत्तर के पीएम मोदी के सपने को पूरा करने के लिए गृह मंत्रालय अथक प्रयास कर रहा है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने पूर्वोत्तर में शांति और समृद्धि के लिए 12 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. इनमें से तीन त्रिपुरा से संबंधित हैं. इससे 10 हजार लोग मुख्यधारा में वापस लौटे हैं.