गौरेला-पेंड्रा-मरवाही : जिले के पेंड्रा क्षेत्र में सोन नदी के किनारे बसा विशेषरा गांव का प्राचीन मां महामाया मंदिर नवरात्रि के पावन अवसर पर आस्था और भक्ति का केंद्र बन गया है.प्राचीन काल से विद्यमान यह मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व का भी प्रतीक है. यहां नवरात्रि में मनोकामना ज्वारा और ज्योति कलश जलाए गए हैं, यहां पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है.
स्थानीय मान्यता के अनुसार, विशेषरा के मां महामाया मंदिर में पूजा-अर्चना से वही पुण्य लाभ मिलता है, जो रतनपुर के प्रसिद्ध महामाया मंदिर में दर्शन से प्राप्त होता है.भक्तों का विश्वास है कि मां महामाया उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं और जीवन के संकटों को दूर करती हैं.मंदिर के चारों ओर फैला प्राकृतिक सौंदर्य और जंगल के बीच बसी यह पवित्र स्थली भक्तों को आध्यात्मिक शांति और सुकून प्रदान करती है.
इतिहासकारों के अनुसार, विशेषरा गांव पुरातात्विक और पौराणिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है.इसे बाबा विश्वनाथ की प्राचीन नगरी माना जाता है, जहां भगवान राम ने भगवान विश्वनाथ का अभिषेक और पूजन किया था.आदिवासी अंचल होने के बावजूद, इस क्षेत्र में भक्ति की बयार बहती है.नवरात्रि के दौरान मंदिर में आयोजित होने वाले मेले में आसपास के गांवों से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं, जो इसकी सांस्कृतिक समृद्धि को और बढ़ाता है.
मंदिर तक पहुंचने के लिए पेंड्रा भाड़ी से सड़क मार्ग उपलब्ध है.नवरात्र के दौरान मां महामाया के दर्शन के लिए दूर-दूर से आने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है.यहां चैत्र और शारदीय दोनों नवरात्र में मनोकामना ज्वारा कलश और ज्योति जलाए जाते हैं वही विशेष पूजा अर्चना किए जाते हैं.मंदिर की सादगी और आध्यात्मिक शक्ति इसे क्षेत्र का एक अनूठा तीर्थ स्थल बनाती है, जो हर साल हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है.