ढाई लाख में चपरासी…4 लाख में बाबू की पोस्ट बेची:बाप-बेटे ने नौकरी लगवाने 12 लोगों से 70 लाख वसूले, हर पोस्ट का रेट फिक्स

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में तुम्हारी नौकरी मंत्रालय में लगवा दूंगा कहकर 12 लोगों से 70 लाख की ठगी की। बाप-बेटों ने मिलकर ठगी की वारदात को अंजाम दिया। आरोपी पिता दुर्ग के वेटरनरी कॉलेज में कर्मचारी था। रिटायर होने के बाद ठगी का धंधा शुरू किया। मामला अंजोरा थाना क्षेत्र का है।

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मिली जानकारी के अनुसार, धोखाधड़ी करने वाले के पिता का नाम भेषराम देशमुख (62) और बेटे का नाम रविकांत (32) है। आरोपी भेषराम ने अपने बेटे को मंत्रालय में अधिकारी बताकर लोगों को अपने जाल में फंसाया था। धोखाधड़ी से कमाए पैसों से उसने कुथरेल में 12 लाख का प्लॉट भी खरीदा है।

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि ठग बाप-बेटे ने नौकरी के लिए बाकायदा रेट भी तय कर रखे थे। मंत्रालय में चपरासी की नौकरी के लिए 2 लाख 50 हजार और बाबू की नौकरी के लिए 4 लाख रुपए वसूले जाते थे। पुलिस ने शिकायत के बाद दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है

जानिए क्या है पूरा मामला?

दरअसल, बालोद निवासी संतराम देशमुख (54) की मुलाकात वेटरनरी कॉलेज अंजोरा के सरकारी क्वार्टर में रहने वाले भेषराम देशमुख से हुई। बातचीत के दौरान भेषराम ने संतराम को विश्वास दिलाया कि मंत्रालय में उसकी अरुण मेश्राम नाम के अधिकारी से अच्छी पहचान है।

इतना ही नहीं, उसने यह भी बताया कि अपने बेटे रविकांत की नौकरी भी उसने अरुण मेश्राम के माध्यम से लगवाई है। भेषराम की बातों में आकर संतराम ने जून 2022 में अपने बेटे और दामाद की नौकरी लगवाने के लिए आरोपियों को ढाई-ढाई लाख रुपए और संबंधित दस्तावेज सौंप दिए।

पीड़ित संतराम ने बताया कि पैसे लेने के बाद आरोपी उन्हें गुमराह करते रहे और समय निकालते रहे। ठगी का एहसास होने पर संतराम ने 3 सितंबर 2025 को अंजोरा थाने में FIR दर्ज कराई। साथ ही बताया कि आरोपियों ने न नौकरी दिलाई और न पैसे वापस किए।

केस दर्ज होने के बाद खुलने लगीं परतें

जांच में सामने आया कि आरोपी बाप-बेटे, राजनांदगांव निवासी अरुण मेश्राम के साथ मिलकर लगातार लोगों से पैसे वसूलने का खेल खेल रहे थे। पुलिस की जांच में जैसे-जैसे परतें खुलीं, अन्य पीड़ितों की जानकारी भी सामने आने लगी। इस नेटवर्क में तीसरा नाम अरुण मेश्राम का भी आया है।

पीड़ितों को आरोपियों के खिलाफ FIR की जानकारी मिली तो वह भी सामने आए। इनमें लोमश देशमुख, हेमंत साहू समेत कई लोगों ने भी आरोपियों पर ठगी का आरोप लगाया। पुलिस ने बैंक ट्रांजैक्शन और अन्य सबूतों के आधार पर कार्रवाई शुरू की।

पुलिस ने घेराबंदी कर बाप-बेटों को किया गिरफ्तार

इस दौरान पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि दोनों ठग बाप-बेटे किसी काम से दुर्ग आए हैं। पुलिस ने फौरन घेराबंदी कर दोनों को दबोच लिया। पूछताछ में दोनों ने कबूल किया कि वे अब तक 12 से ज्यादा लोगों से करीब 70 लाख रुपए की ठगी कर चुके हैं।

आरोपियों ने बताया कि 70 लाख में से उनके हिस्सा में 20 लाख रुपए आए हैं। उससे उन्होंने 12 लाख का प्लॉट ग्राम कुथरेल में खरीदा और बाकी रकम खर्च कर दी। इसके साथ ही राजनांदगांव निवासी अरुण मेश्राम को भी नेटवर्क में शामिल होना बताया।

प्लॉट की रजिस्ट्री, बैंक पासबुक और डायरी जब्त

दुर्ग ASP पदमश्री तंवर ने बताया कि आरोपियों ने 12 लोगों से 70 लाख रुपए ऐंठने की बात स्वीकार की है। पुलिस ने उनकी ठगी की रकम से खरीदे गए प्लॉट की रजिस्ट्री, बैंक पासबुक और डायरी जब्त कर ली है।

इस पूरे नेटवर्क का तीसरा आरोपी अरुण मेश्राम अभी फरार है। आरोपी भेषराम देशमुख और उसका बेटा रविकांत को पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से कोर्ट ने दोनों को जेल भेज दिया है।

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