महाकुंभ में खुले में शौच कर रहे लोग… आरोप पर NGT ने याचिकाकर्ता से मांगे सबूत

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने याचिकाकर्ता से प्रयागराज में महाकुंभ उत्सव में स्वच्छ बायो-टॉयलेट की कमी के कारण खुले में शौच के लिए समर्थन करने वाले सबूत मांगे. एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की अध्यक्षता वाली बेंच उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है श्रद्धालुओं को पर्याप्त सुविधाओं के अभाव के चलते गंगा के किनारे खुले में शौच के लिए मजबूर होना पड़ा.

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14 फरवरी को दायर की गई याचिका में प्राथमिक सबूत के तौर पर एक पेन ड्राइव पर दो वीडियो क्लिप शामिल थे. बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने दावों को साबित करने के लिए पेन ड्राइव में सिर्फ दो वीडियो क्लिप संलग्न किए थे, लेकिन इनमें भू-निर्देशांक नहीं थे. कोर्ट ने कहा कि इन्हें उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के साथ साझा नहीं किया गया था.

‘याचिका में उठाया गया संवेदनशील मुद्दा’

बेंच ने याचिका (ओए) में एक संवेदनशील मुद्दा उठाया गया है. इसलिए, किसी सक्षम प्राधिकारी को जमीनी स्तर पर सही तथ्यात्मक स्थिति का पता लगाकर याचिकाकर्ता की ओर से लगाए गए आरोपों की सत्यता की जांच करनी चाहिए.

‘सामग्री उपलब्ध कराई जाती है बोर्ड जांच करेगा’

इस पर जवाब देते हुए यूपीपीसीबी के वकील ने कहा कि अगर प्रासंगिक सामग्री उपलब्ध कराई जाती है, तो बोर्ड जांच करेगा और आवश्यक कार्रवाई करेगा. एनजीटी ने याचिकाकर्ता को यूपीपीसीबी के सदस्य सचिव को सभी सहायक साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. साक्ष्य प्राप्त होने पर, यूपीपीसीबी को आरोपों की वैधता का पता लगाने के लिए तुरंत मौके पर निरीक्षण करना है.

‘चार हफ्ते के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट पेश करें’

एनजीटी ने कहा कि अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो सदस्य सचिव तत्काल उपचारात्मक कदम उठाएंगे और चार हफ्ते के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट पेश करेंगे. एनजीटी आगे की कार्यवाही पर विचार करने के लिए फिर से बैठक कर सकता है.।

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