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सत्ता में बैठे लोग अतीत को भूल गए हैं… त्रिपुरा के CM माणिक साहा ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को चेताया

बांग्लादेश में पिछले 5 महीनों से उग्र प्रदर्शन और हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही. पड़ोसी देश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं के खिलाफ अत्याचारों के मामले दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे हैं. भारत सरकार की ओर से इसकी निंदा करने के बाद अब त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने शनिवार को बांग्लादेश के अंतरिम सरकार को चेताया है.

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माणिक साहा ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अगर सुधारात्मक कदम नहीं उठाती है तो इससे नुकसान पड़ोसी देश को ही होगा. उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश में सत्ता में बैठे लोग अतीत को भूल गए हैं और इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे हैं. साहा ने इस दौरान लोगों को अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के विरोध में खड़े होने का आग्रह किया.

1971 संग्राम में त्रिपुरा के लोगों ने अहम योगदान दिया

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने रवींद्र भवन में शरद सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही. मुख्यमंत्री ने लोगों से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाओं के विरोध में खड़े होने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में जिस तरह से चीजें हो रही हैं, वह स्वीकार्य नहीं है.

उन्होंने कहा कि त्रिपुरा के लोगों ने भारतीय सेना के साथ मिलकर 1971 के मुक्ति संग्राम के जरिए बांग्लादेश के गठन में अहम योगदान दिया था. साहा ने कहा कि बांग्लादेश में सत्ता में बैठे लोग अतीत को भूल गए हैं और इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने लोगों से अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने का भी आग्रह किया.

अंतरिम सरकार में अल्पसंख्यकों पर हमलें हुए तेज

जून में आरक्षण को लेकर बांग्लादेश में शुरू हुए हिंसक प्रदर्शनों के कारण शेख हसीना को जुलाई में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. उन्होंने बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण ली. इसके बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी. हालांकि, अंतरिम सरकार बनने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाएं बढ़ गईं.

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