मध्य प्रदेश के इंदौर में स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही ने एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जूनी इंदौर इलाके के रहने वाले गोविंद नामक व्यक्ति की कुत्ते के काटने के बाद रेबीज से मौत हो गई। हैरानी की बात यह है कि गोविंद ने एंटी-रेबीज वैक्सीन की तीन डोज ले ली थी, इसके बावजूद उसकी हालत बिगड़ती चली गई और आखिरकार उसकी जान नहीं बचाई जा सकी।
जानकारी के अनुसार, गोविंद को कुत्ते ने काटा था जिसके बाद उसने सरकारी अस्पताल से एंटी-रेबीज इंजेक्शन लगवाना शुरू किया। पांच डोज़ की पूरी सीरीज़ में से तीन डोज लग चुकी थीं, तभी उसके स्वास्थ्य में अचानक गिरावट आने लगी। उसे पानी से डर (हाइड्रोफोबिया) और हवा से डर (एयरोफोबिया) जैसे रेबीज के लक्षण दिखने लगे। हालत गंभीर होने पर उसे एमवाय अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने समय रहते उसकी स्थिति पर ध्यान नहीं दिया और जरूरी फॉलो-अप नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिए हैं कि रेबीज मामलों में मरीजों को सभी डोज देने के साथ उनकी लगातार निगरानी की जाए। लेकिन इस मामले में उन नियमों का पालन नहीं हुआ।
मरीज की मौत के बाद स्थानीय लोगों और परिजनों में गुस्सा है। उनका कहना है कि अगर अस्पताल ने शुरुआत में ही लक्षणों को गंभीरता से लिया होता तो शायद गोविंद की जान बच सकती थी। यह घटना इस बात की चेतावनी है कि रेबीज वैक्सीन के केवल कुछ डोज़ लेने भर से सुरक्षा पूरी नहीं होती, बल्कि इलाज के दौरान समय पर निगरानी और फॉलो-अप भी उतना ही जरूरी है।
इंदौर की यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही और व्यवस्थागत खामियों की ओर इशारा करती है। अब सवाल यह है कि जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होगी या फिर एक और जान जाने के बाद मामला यूं ही दबा दिया जाएगा।