सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) को निर्देश देने की मांग की गई थी कि भगवान वेंकटेश्वर की पूजा केवल देसी गाय के दूध से ही की जाए। याचिका में तर्क दिया गया था कि धार्मिक शास्त्रों के अनुसार देसी गाय के दूध का उपयोग अनिवार्य है और यह परंपरा के अनुसार पूजा प्रक्रिया का हिस्सा होना चाहिए।
जज की टिप्पणी: ‘सेवा में हो ईश्वर के लिए प्रेम’
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेने से इनकार किया। जस्टिस सुंदरेश ने टिप्पणी की, “गाय तो गाय है, ईश्वर के प्रति प्रेम हमारे आचरण और दूसरे प्राणियों की सेवा में प्रकट होना चाहिए, न कि ऐसे विवादों में उलझने से।” उन्होंने कहा कि समाज में इससे अधिक गंभीर मुद्दे हैं जिनपर ध्यान देने की आवश्यकता है।
याचिकाकर्ता ने क्या कहा?
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि आगम शास्त्रों और धार्मिक अनुष्ठानों में देसी गाय के दूध का प्रयोग आवश्यक बताया गया है। वकील ने यह भी कहा कि TTD ट्रस्ट ने पूर्व में इस संबंध में प्रस्ताव पारित किए हैं, जिन्हें लागू करना धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के लिए जरूरी है। उनका मानना था कि परंपराओं और शास्त्रों का पालन मंदिरों में पूरी निष्ठा से किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों नहीं दी अनुमति?
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में दखल देना उसकी प्राथमिकता नहीं है और न्यायालय का समय अधिक महत्वपूर्ण मामलों के लिए होना चाहिए। अदालत ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और इस तरह मामला वहीं समाप्त हो गया।
इस फैसले के बाद धार्मिक हलकों में कुछ हलचल जरूर देखने को मिल सकती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया है कि परंपराओं की व्याख्या का क्षेत्र धार्मिक संस्थानों और समाज के बीच सामंजस्य से तय होना चाहिए, न कि अदालत के आदेशों से।