सिग्नल पर जेब पर हमला: थर्ड जेंडर और भीख मांगने वालों की मनमानी, बंगाल कनेक्शन

न्यायधानी के ट्रैफिक सिग्नलों पर रुकना अब जोखिम भरा हो गया है। लाल बत्ती पर गाड़ी रोकते ही भिक्षुक, बच्चे, बुजुर्ग और थर्ड जेंडर की भीड़ वाहन चालकों(Beggars at Traffic Signal) को घेर लेती है। इस दबाव से न केवल असहजता बढ़ रही है, बल्कि जेब और सुरक्षा दोनों खतरे में पड़ जाते हैं।

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नेहरू चौक, सत्यम चौक, अग्रसेन चौक, सीएमडी चौक और गोलबाजार चौक जैसे प्रमुख ट्रैफिक पॉइंट्स पर यह स्थिति और गंभीर हो चुकी है। महिलाएं गोद में बच्चे लेकर भावुक अपील करती हैं, बुजुर्ग पेन और धागे बेचते हैं, बच्चे शीशे साफ करते या बलून बेचते हैं। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि अब बड़ी संख्या में बंगाल से आए थर्ड जेंडर सक्रिय हो गए हैं, जिनका पुलिस के पास कोई रिकार्ड नहीं है। महिलाएं खुद को राजस्थानी बताती हैं।

दिनभर ट्रैफिक पर दिखने वाली भीड़ रात 10 बजे के बाद गायब हो जाती है, जबकि थर्ड जेंडर देर रात दो से तीन बजे तक रेलवे स्टेशन की ओर सक्रिय रहते हैं। इससे रेल यात्री भी परेशान हो रहे हैं।
सुझाव और बचाव के उपाय:
संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस को दें। सीसीटीवी से निगरानी बढ़ाई जाए। भिक्षुकों के पुनर्वास केंद्र का संचालन प्रभावी हो। बच्चों को ट्रैफिक से दूर रखने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। थर्ड जेंडरों का रिकॉर्ड खंगाला जाए और बाहरी लोगों की पहचान सुनिश्चित की जाए।
पुलिस की जिम्मेदारी:
सिग्नल पर भीड़ रोकना और सुरक्षा बनाए रखना ट्रैफिक पुलिस का काम है, लेकिन पैट्रोलिंग और रिकॉर्ड की कमी से हालात बिगड़ रहे हैं।
लोगों की राय:
राजू एलुकर (वरिष्ठ नागरिक): सिग्नल पर रुकना डरावना अनुभव है। कई बार दरवाजा खींचने लगते हैं। जेब और बच्चों की सुरक्षा की चिंता होती है।
जय खत्री (निवासी): यह सिर्फ भिक्षावृत्ति नहीं, संगठित गिरोह है। बच्चों और महिलाओं को सड़कों पर उतारा जाता है।
प्राची दीवान (विधिक सलाहकार): महिलाओं का व्यवहार कई बार आक्रामक हो जाता है। यह खतरनाक है।
राम गोपाल करियारे (एडिशनल एसपी, ट्रैफिक) ने कहा कि समाज कल्याण विभाग को पत्र लिखा है। थर्ड जेंडर सहित अन्य संदिग्धों पर नजर है। नई प्लानिंग पर काम चल रहा है।
महत्वपूर्ण बातें-
शहर में 40 से अधिक थर्ड जेंडर सक्रिय।
कई बाहरी, जिनका कोई स्थायी ठिकाना और पुलिस रिकॉर्ड नहीं।
रात तक किन्नर सक्रिय, 200 से अधिक ऑटो के यात्रियों तक पहुंच।

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