चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने मोदी सरकार के एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया है. इसको लेकर पटना में प्रशांत किशोर ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ देश के लिए फायदेमंद हो सकता है, बशर्ते इसे सही इरादों के साथ लागू किया जाए.
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक प्रशांत किशोर ने केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयकों को मंजूरी दिए जाने पर अपनी ये प्रतिक्रिया दी है. इस बिल को जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा.
बिल का समर्थन लेकिन मंशा पर सवाल
एक देश एक चुनाव को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए प्रशांत किशोर ने उदाहरण देते हुए कहा कि आतंकवाद पर नियंत्रण के लिए बनाए गए कानूनों का इस्तेमाल अक्सर एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने के लिए किया गया है. प्रशांत किशोर ने केंद्र सरकार के प्रस्तावित विधेयक को लेकर कहा कि सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि केंद्र सरकार की मंशा को जनता और विपक्षी दल कैसे देखेंगे.
प्रशांत किशोर ने वन नेशन, वन इलेक्शन बिल का समर्थन करते हुए कहा, ‘मैंने कई चुनावों में काम किया है, मैंने देखा है कि हर साल देश का एक बड़ा हिस्सा किसी न किसी चुनाव में शामिल रहता है, चाहे वह राष्ट्रीय हो या राज्य स्तर का.’
अचानक लागू नहीं होना चाहिए: पीके
प्रशांत किशोर ने आजादी के बाद का जिक्र करते हुए कहा कि 1960 के दशक तक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुआ करते थे. उन्होंने कहा, ‘यदि यह फिर से होता है, तो यह देश के लिए अच्छा होगा लेकिन इस परिवर्तन को आसान और चरणबद्ध तरीके से लागू करना चाहिए. इसे अचानक लागू करने का प्रयास नहीं होना चाहिए.’
विपक्षी दलों ने किया है वन नेशन, वन इलेक्शन का विरोध
बता दें कि विपक्षी दलों ने एक देश, एक चुनाव का विरोध करते हुए इसे राज्य सरकारों पर केंद्र के हस्तक्षेप का माध्यम बताया है, विशेष रूप से उन राज्यों में जहां विपक्षी दल सत्ता में हैं. इसको लेकर पीके ने कहा कि इस नियम को लागू करने से पहले इसे चरणबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए. इससे न केवल चुनाव प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि देश की प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.