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मानसून में बना रहे हैं घूमने का प्लान, तो छत्‍तीसगढ़ के इस वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का लें मजा

रायपुर। अगर आपको अगर आपको प्रकृति से लगाव है और आप हरे-भरे दृश्य के साथ जंगलों के वन्यजीवों को देखना चाहते हैं, तो चले आइए छत्‍तीसगढ़ के प्रसिद्ध भोरमदेव अभयारण्य. राजधानी रायपुर से 120 किमी दूर स्थित मैकल पर्वत श्रृंखला से घिरे कवर्धा जिले में चिल्फी घाटी, भोरमदेव मंदिर, सरोधा दादर जलाशय, रानीदहरा जल प्रपात, पीठाघाट वाचटावर और पुरातात्विक स्थल पचराही मुख्य आकर्षण हैं.

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352 वर्ग किमी में फैला भोरमदेव वन्य प्राणी अभयारण्य मोर, किंगफिशर, बायसन, चीतल, नीलगाय जैसे वन्यजीवों, पक्षियों और दुर्लभ वनस्पतियों का प्राकृतिक आवास. मगर यहां एक बड़ा आकर्षण केंद्र सात एकड़ में फैला तितलियों का संसार है.

इस अभयारण्य में 130 से अधिक प्रजाति की तितलियों को देखा जा सकता है. इनमें राष्ट्रीय तितली आरेंज ओकलीफ (केलिमा इनेकस), दुर्लभ प्रजाति की ‘स्पाटेड एंगल’ आदि शामिल है. तितलियों के स्वर्ग कहे जाने वाले इस अभयारण्य में 200 से अधिक पक्षियों का भी बसेरा है.

वन मंडल अधिकारी शशि कुमार ने बताया कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को यहां तितलियों का संसार देखने को मिलता है. उन्होंने बताया कि आरेंज ओकलीफ तितली जब पंख बंद रखती है तो सूखी पत्ती के समान दिखती है और पंख खुलने पर काला, नारंगी, गहरे नीले रंग वाले पंख सभी को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करने लगते हैं. अभयारण्य क्षेत्र के जामुनपानी और प्रतापगढ़ में जंगल सफारी कर पर्यटक वन्यप्राणियों को देखने जा सकते हैं.

18 किमी दूर भोरमदेव मंदिर परिसर

कवर्धा से 18 किमी दूर स्थित भोरमदेव मंदिर परिसर भगवान शिव को समर्पित चार हिंदू मंदिरों का एक समूह है. Nहजारों वर्ष पुराने इन मंदिरों को छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है. यहां मंडवा महल, छेरकी महल सहित अन्य मंदिरों की नक्काशी देखने लायक है.

वर्ष 1349 में नागवंशी राजा रामचंद्र देव और राजकुमारी अंबिका देवी की शादी की याद में मड़वा महल यानी दुल्हादेव बनवाया गया था. इस परिसर की बाहरी दीवारों पर कामासूत्र में दर्शाई गई 54 मुद्राएं बनी हुई हैं. एक मंदिर में अधगढ़ा शिवलिंग स्थित है. मंदिर की छत पर कमल के आकार में शिल्पकारी की हुई है.

लुभाता है जलाशयों का दृश्य

हरी-भरी पहाड़ियों के घिरे सरोधा जलाशय में पर्यटक स्पीड बोट, वाटर स्कूटर और कैंपिंग कर सकते हैं. यहां से मैकल पर्वत श्रृंखला की खूबसूरती देखते ही बनती है. छीरपानी जलाशय का नयनाभिराम दृश्य भी पर्यटकों को लुभाता है. यहां घने जंगल के बीच स्थित रानीदहरा जल प्रपात, दुरदुरी जलप्रपात, मांदाघाट जलप्रपात भी है.

रानीदहरा बोड़ला से चिल्फी मार्ग पर कवर्धा से लगभग 35 किमी की दूर ह. अभयारण्य के घने जंगल और ऊंचे पहाड़ों के बीच स्थित रानीदहरा जल प्रपात का सौंदर्य सावन में पूरे उत्कर्ष पर होता है. यहां करीब 40 फीट की ऊंचाई से पानी गिरता है. पहाड़ी रास्तों के बीच ठंडी हवाएं पर्यटकों को सुकून देती है.

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