म्यांमार से बनती है भारत पर हमले की योजना, ULFA ने सीमा पार बनाए अपने ठिकानें

भारत में प्रतिबंधित उल्फा (ULFA) ने रविवार को दावा किया कि भारतीय सेना ने म्यांमार सीमा पर उसके कैंपो पर ड्रोनों से हमला किया, हालांकि सेना के सूत्रों का कहना है कि ऐसा कोई ऑपरेशन नहीं किया गया. ULFA के प्रेस बयान में विद्रोही समूह के लेफ्टिनेंट जनरल नयन असम के साथ कई आतंकियों के मारे जाने की खबर है.

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उल्फा-I म्यांमार के सागाइंग डिवीजन में एक्टिव है. इस क्षेत्र के घने जंगलों और चुनौतीपूर्ण इलाकों का फायदा उठाकर उल्फा लड़ाके यहां अपने ठिकाने बनाए हुए है. ये कैंप हमलों की योजना बनाने, कैडरों को ट्रेनिंग देने और हथियार जमा करने के लिए संचालन केंद्रों के रूप में काम करते हैं. साथ ही भारत में हमला करने बाद आतंकी इन्हीं कैंपो में छिप जाते हैं.

म्यांमार के चरमपंथी संगठनों से मिलाया हाथ

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की ओर से न्यायाधिकरण को सौंपी गई एक नई रिपोर्ट के मुताबिक कि उल्फा के पास लगभग 250 सदस्य हैं, जो मुख्य रूप से म्यांमार के चार प्रमुख शिविरों में स्थित है. केंद्र सरकार द्वारा दी गई जानकारी में कहा गया है कि यह संगठन ‘संचालन और सैन्य उद्देश्यों’ के लिए अन्य भारतीय विद्रोही समूहों के साथ संबंध बनाए रखता है और माना जाता है कि इसके कार्यकर्ताओं के पास इस समय में लगभग 200 हथियार हैं. बता दें, इससे जुड़े संगठन भूटान में भी एक्टिव हैं.

सरकार की रिपोर्ट में उल्फा के NSCN, कोरकॉम, NLFT, KYKL और PLA जैसे विद्रोही समूहों के साथ संबंधों की जानकारी दी गई थी. ये सभी म्यांमार में स्थित हैं. उल्फा को पहली बार नवम्बर 1990 में गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया था और तब से ही इसे लगातार बढ़ाया जाता रहा है.

म्यांमार से रची जा रही भारत के खिलाफ साजिश

माना जाता है कि उल्फा-I का चीफ कमांडर परेश बरुआ, बांग्लादेश से निष्कासित होने के बाद म्यांमार-चीन सीमा, खासकर चीन के युन्नान प्रांत से, अपनी गतिविधियां चला रहा है. ये ठिकाने उल्फा-I को फिर से संगठित होने और भारतीय सुरक्षा बलों से बचने के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करते हैं.

उल्फा-I असम में हमले करने के लिए म्यांमार को अपने अड्डे के रूप में इस्तेमाल करता है. यह समूह इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) लगाने में शामिल रहा है, जैसा कि अगस्त 2024 में असम में 24 IED लगाने के उनके दावे से पता चलता है, हालांकि तकनीकी समस्याओं के कारण ये विस्फोट नहीं कर पाए थे.

ULFA कैसे जुटाता है फंड?

उल्फा-I अपने लिए पैसा जमा करने के लिए कई तरह गतिविधियों को अंजाम देता है, जिसमें असम में कारोबारियों और व्यक्तियों को निशाना बना उनका अपहरण करना या धमकी देकर पैसे जुटाने जैसे कम करता है. इसके अलावा तेल पाइपलाइनों और चाय बागानों जैसे बुनियादी ढांचे पर उनके हमलों ने ऐतिहासिक रूप से आर्थिक नुकसान पहुंचाया है.

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