सूरजपुर: भैयाथान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के नाम पर एक शर्मनाक दृश्य सामने आया है, जिसने न केवल सरकारी व्यवस्था की पोल खोली, बल्कि एक ग्रामीण महिला की जान को खतरे में डाल दिया. जानकारी के मुताबिक, मामला 18 जुलाई का है. जहां सुबह क़रीब 10 बजे एक महिला, जो कि सांप के काटे जाने के बाद गंभीर हालत में थी, उसे परिजन तुरंत लेकर भैयाथान सीएचसी पहुंचे.
मरीज को तत्काल एमबीबीएस डॉक्टर अभिषेक नामदेव को दिखाया गया. लेकिन इस डॉक्टर ने न तो कोई समुचित जांच की और न ही सर्पदंश की प्राथमिक इलाज किया. इसके विपरीत, सिर्फ पैरासिटामोल, टिटनेस और डेक्सोना का इंजेक्शन देकर खानापूर्ति करते हुए महिला को सूरजपुर ज़िला अस्पताल रेफर कर दिया गया. यह वो स्थिति थी, जहां हर सेकंड कीमती था और डॉक्टर का यह कर्तव्यहीन रवैया किसी अपराध से कम नहीं.
राज्य सरकार लाख दावा कर ले कि हर स्वास्थ्य केंद्र में प्रशिक्षित और सजग डॉक्टर पदस्थ हैं, लेकिन भैयाथान का यह मामला उन तमाम दावों को ध्वस्त करता है. सिर्फ कुर्सी पर बैठना डॉक्टर होना नहीं होता और इस घटना ने यही दिखाया कि कैसे डिग्रीधारी डॉक्टर केवल औपचारिकता निभा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है. भैयाथान सीएचसी अब एक ऐसा केंद्र बन चुका है, जहां गंभीर मरीजों को प्राथमिक उपचार के बजाय सीधे रेफर करने की “रीति” बन चुकी है.
अब तक न तो डॉक्टर से पूछताछ हुई, न ही कोई विभागीय जांच प्रारंभ हुई है. भैयाथान में हुई यह घटना सिर्फ एक लापरवाही नहीं, बल्कि एक पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था के चरमराने का संकेत है. यदि समय रहते कठोर कार्रवाई नहीं की गई, तो लोगों का भरोसा सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था से हमेशा के लिए उठ जाएगा.