प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच अंतरराष्ट्रीय हालात को लेकर गुरुवार को अहम बातचीत हुई. दोनों नेताओं ने खासतौर पर यूक्रेन और वेस्ट एशिया में जारी संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान की संभावनाओं पर विचार साझा किए और भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने का संकल्प दोहराया.
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “मेरे मित्र राष्ट्रपति मैक्रों के साथ बहुत अच्छी बातचीत हुई. हमने यूक्रेन और वेस्ट एशिया में संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान के प्रयासों पर विचार साझा किए और भारत–फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.”
मैक्रों ने भी इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर दी. उन्होंने हिंदी में लिखी अपनी पोस्ट में बताया, “मैंने अभी-अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से बातचीत की. हमने यूक्रेन युद्ध पर अपनी स्थितियों का समन्वय किया ताकि एक न्यायपूर्ण और स्थायी शांति की ओर बढ़ सकें, यूक्रेन के लिए ठोस सुरक्षा गारंटि और यूरोप की सुरक्षा के साथ. व्यापार संबंधी मुद्दों पर, हमने अपने वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ावा देने और सभी क्षेत्रों में अपनी सामरिक साझेदारी को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की.”
उन्होंने आगे लिखा, “यही हमारी संप्रभुता और स्वतंत्रता की कुंजी है. फरवरी में पेरिस में आयोजित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्शन समिट की निरंतरता में, हम 2026 में नई दिल्ली में होने वाले एआई इम्पैक्ट समिट की सफलता के लिए कार्य कर रहे हैं. एक अधिक प्रभावी बहुपक्षवाद के लिए, हमने 2026 में जी7 की फ्रांसीसी अध्यक्षता और ब्रिक्स की भारतीय अध्यक्षता को ध्यान में रखते हुए निकट समन्वय करने पर सहमति व्यक्त की है.”
फ्रांस ने बुधवार को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा लगाए गए यहूदी-विरोधी (Antisemitism) के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. पेरिस स्थित एलिसी पैलेस ने इन आरोपों को घृणित और भ्रामक बताया और कहा कि फ्रांस हमेशा अपने यहूदी नागरिकों की सुरक्षा करता आया है और करता रहेगा.
दरअसल, नेतन्याहू ने एएफपी की रिपोर्ट में सामने आए एक पत्र में कहा था कि मैक्रों द्वारा फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा देने की घोषणा के बाद फ्रांस में यहूदी-विरोधी घटनाएं बढ़ी हैं. उन्होंने लिखा, “आपका यह बयान यहूदी-विरोध की आग को और भड़काता है. यह कूटनीति नहीं बल्कि तुष्टिकरण है, जो हमास आतंक को पुरस्कृत करता है, बंधकों की रिहाई में बाधा डालता है और फ्रांस की सड़कों पर यहूदियों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा देता है.”
फ्रांसीसी राष्ट्रपति कार्यालय ने जवाब में कहा कि नेतन्याहू का पत्र अनुत्तरित नहीं रहेगा और यह समय गंभीरता और जिम्मेदारी का है, न कि तथ्यों के साथ छेड़छाड़ और भ्रम फैलाने का.