देश के दूसरे सबसे बड़े एयरबेस महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को घंटाभर इंतजार करना पड़ गया। इसका कारण था दिल्ली में खराब मौसम (Delhi Weather), जिस कारण विमान को उड़ने के लिए क्लियरेंस देरी से मिल सका
पीएम यहां अशोकनगर जिले में कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। उनकी ग्वालियर में ट्रांजिट विजिट थी। दोपहर में लगभग दो बजे उनका विशेष विमान ग्वालियर महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन पर उतरा। इसी कारण इससे 15 मिनट पहले सिविल एयरपोर्ट से बेंगलुरू की फ्लाइट को रवाना करना पड़ा।
शाम को पीएम के अशोकनगर से लौटने के बाद ग्वालियर एयरबेस से शाम लगभग साढ़े छह बजे रवानगी तय थी, लेकिन क्लीयरेंस घंटे भर बाद मिल सका। इसके बाद शाम साढ़े सात बजे उनका विमान दिल्ली के लिए रवाना हो सका। इस दौरान स्थानीय प्रशासन से लेकर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर रहीं। अधिकारियों के अनुसार, घंटाघर पीएम विमान में ही मौजूद रहे।
एक फ्लाइट 15 मिनट पहले रवाना तो मुंबई की फ्लाइट को थोड़ा रोकना पड़ा
ग्वालियर से बेंगलुरू जाने वाली फ्लाइट को 15 मिनट पहले एक बजकर 45 मिनट पर रवाना कर दिया गया। वहीं मुंबई के लिए जाने वाली फ्लाइट को भी थोड़ी देर रोकना पड़ा। पीएम के विमान के आने के बाद ही रवाना किया गया। विमानतल पर यात्रियों को थोड़े विलंब की सूचना दे दी गई थी।
प्रधानमंत्री की प्रभारी मंत्री सहित नेताओं ने की अगवानी
प्रधानमंत्री की अगवानी जिले के प्रभारी एवं जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, उद्यानिकी मंत्री नारायण सिंह कुशवाह, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, सांसद भारत सिंह कुशवाह, विधायक मोहन सिंह राठौर व महापौर डा. शोभा सिकरवार, जिपं अध्यक्ष दुर्गेश कुंवर सिंह जाटव, मुख्य सचिव अनुराग जैन, डीजीपी कैलाश मकवाना, कलेक्टर रुचिका चौहान व पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह ने की।
इसलिए खास है ग्वालियर एयरबेस
प्रधानमंत्री मोदी को जिस एयरबेस पर घंटाभर इंतजार करना पड़ा, वह देश में सामरिक दृष्टि से खास महत्व रखता है। भारत की ओर से की गई सर्जीकल स्ट्राइक में ग्वालियर एयरबेस से भी लडाकू विमानों ने भाग लिया था। वहीं एयर टू एयर वायुसेना के विमानों में री-फ्यूलिंग का इतिहास भी ग्वालियर एयरबेस के आसमान में रचा गया था।
इंडियन एयरफोर्स के मिराज एयरक्राफ्ट का ग्वालियर स्थित महाराजपुरा एयरबेस सबसे बड़ा स्टेशन है। पहले भी मिराज कारगिल युद्ध में इतिहास लिख चुका है। कारगिल युद्ध के समय मिराज ने ग्वालियर से उड़ान भरकर तीस हजार फीट की ऊंचाई से दुश्मन पर हमला किया था।