प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को दो दिवसीय दौरे पर लाओस पहुंच गए हैं. पीएम मोदी इस दौरान 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे. लाओस आसियान की अध्यक्षता कर रहा है. पीएम मोदी की लाओस यात्रा के बीच ये जानना जरूरी है कि आखिर भारत के लिए आखिर ये छोटा सा देश रणनीतिक रूप से क्यों इतना जरूरी है. भारत-लाओस के संबंध कैसे हैं और भारत के लिए इसे प्राथमिकता देना क्यों जरूरी है…
लाओस क्यों भारत के लिए जरूरी…
लाओस की कुल आबादी 77 लाख के करीब है. लेकिन यह दक्षिण पूर्व एशिया में एकमात्र लैंडलॉक देश है. रणनीतिक रूप से यह इसलिए अहम है क्योंकि लाओस की सीमा उत्तर-पश्चिम में म्यांमार और चीन, पूर्व में वियतनाम, दक्षिण-पूर्व में कंबोडिया और पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम में थाईलैंड से लगती है. चीन और म्यांमार से घिरे होने के कारण भारत के लिए इस देश की रणनीतिक महत्ता बढ़ जाती है. दरअसल, दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण, लाओस हमेशा से व्यापारिक नजरिए से भी अहम रहा है. यही कारण है कि इसपर कभी फ्रांस ने तो कभी जापान ने कब्जा जमाया. 1953 में जब लाओस को आजादी मिली तो चीन ने भी लाओस में अपने प्रभाव को आजमाना शुरू किया.
Sabaidee Laos!
PM @narendramodi arrives in Vientiane, Lao PDR to a ceremonial Guard of Honour.
Warmly welcomed by Minister of Home Affairs of 🇱🇦, Mr. Vilayvong Bouddakham. pic.twitter.com/megm3o3Gn4
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) October 10, 2024
भारत ने हमेशा लाओस को दी प्राथमिकता
भारत-लाओस के बीच संबंध फरवरी 1956 में स्थापित हुए थे यानी की लाओस की आजादी के 3 साल बाद ही उसकी रणनीतिक जरूरत को देखते हुए भारत ने संबंध स्थापित किए. लाओस की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1954 में लाओस का दौरा किया था, जबकि भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 1956 में लाओस का दौरा किया था. दरअसल, दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती विस्तारवादी नीतियों के चलते भारत लाओस को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानता है.
दोनों देशों के बीच हुए हैं कई समझौते
लाओस की मेकांग नदी यहां के कार्गो और यात्रियों के परिवहन का प्रमुख मार्ग है. लाओस इस नदी पर बिजली बनाकर अपने पड़ोसी देशों को सप्लाई भी करता है. साल 2008 में भारत ने लाओस में एयर फोर्स एकेडमी खोलने का फैसला लिया था. लाओस की सेना को भारत की ओर से समय-समय पर आधुनिक तकनीक सौंपी गई है. सिंचाई और विद्युत परियोजनाओं के लिए भी भारत ने कई बड़े ऐलान किए हैं. साइंस टेक्नोलॉजी और ट्रेड से संबंधित कई समझौते दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत बनाते हैं.
भारत के लिए मजबूती से खड़ा रहा है लाओस
कई ऐसे उदाहरण हैं जब लाओस ने भारत का खुलकर साथ दिया है. लाओस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के भारत के प्रयासों का समर्थन करता रहा है. राम मंदिर उद्घाटन के वक्त भी लाओस ने राम लला पर एक डाक टिकट जारी किया था. ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश था. कोरोना के समय भी भारत ने लाओस की मदद की थी. जिसकी लाओस की ओर से खूब तारीफ की गई थी.