प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी मंगलवार को सऊदी अरब के दौरे के लिए रवाना होंगे. पीएम मोदी की ये दो दिनों की यात्रा है. इस दौरान वो क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से भी मुलाकात करेंगे. साथ ही वो शाम में भारतीय समुदाय के लोगों को भी संबोधित करेंगे. सऊदी अरब में भारतीय राजदूत सुहेल एजाज खान ने कहा कि ये प्रधानमंत्री की जेद्दा की पहली यात्रा है, हालांकि इससे पहले वो दो बार सऊदी अरब का दौरा कर चुके हैं.
उनकी ये दो दिनों की यात्रा सितंबर 2023 में मोहम्मद बिन सलमान की नई दिल्ली की राजकीय यात्रा के बाद हो रही है, जहां उन्होंने जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लिया और भारत-सऊदी अरब सामरिक साझेदारी परिषद की उद्घाटन बैठक की सह-अध्यक्षता भी की.
रणनीतिक साझेदार के रूप में और मिलेगी मजबूती
भारत और सऊदी अरब के बीच लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं, जिनका इतिहास सामाजिक-सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संबंधों से जुड़ा है. रणनीतिक साझेदार के रूप में दोनों देश राजनीति, रक्षा, सुरक्षा, व्यापार, ऊर्जा, निवेश, स्वास्थ्य, शिक्षा, प्रौद्योगिकी, संस्कृति और लोगों के बीच संपर्क जैसे प्रमुख क्षेत्रों में घनिष्ठ सहयोग करते हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा कि पिछले एक दशक में निवेश में वृद्धि, रक्षा समन्वय में निकटता और नियमित उच्च-स्तरीय बैठकों के कारण संबंध और भी प्रगाढ़ हुए हैं.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, यह यात्रा व्यापक साझेदारी को और बेहतर बनाने और साझा हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगी. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि मोदी की यात्रा भारत और सऊदी अरब के बीच पहले से ही मजबूत रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगी.
इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा?
विदेश सचिव ने कहा कि सऊदी अरब की भारत में 100 बिलियन अमरीकी डालर के निवेश की योजना को सुविधाजनक बनाने के लिए कदम उठाने के तरीके पर चर्चा हो सकती है, जैसा कि 2019 में क्राउन प्रिंस की भारत यात्रा के दौरान घोषित किया गया था.
उन्होंने कुछ मुद्दे उठाए थे और हमने उन मुद्दों पर बहुत रचनात्मक तरीके से काम किया है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित निवेश में तेजी लाने के लिए अक्टूबर 2023 में निवेश पर उच्च स्तरीय टास्क फोर्स (HLTFI) की स्थापना की गई थी.
विदेश सचिव ने कहा था कि पीएम मोदी और सलमान के बीच होने वाली बातचीत में महत्वाकांक्षी भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप-आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) परियोजना के क्रियान्वयन पर भी चर्चा हो सकती है. इस बातचीत में इजरायल-हमास संघर्ष के साथ-साथ यूक्रेन की स्थिति पर भी चर्चा होने की उम्मीद है.