भोपाल के मुस्लिम शायर अंजुम बाराबंकवी की भगवान श्री राम पर लिखी गजल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खूब पसंद आई. प्रधानमंत्री मोदी ने पत्र लिखकर शायर की तारीफ की. भोपाल के शायर अंजुम बाराबंकवी ने भगवान श्री राम पर गजल लिखकर पीएम मोदी को स्पीड पोस्ट के जरिए भेजी थी. पीएम को मुस्लिम शायर की भगवान श्री राम पर लिखी गजल इतनी पसंद आई कि उन्होंने अपनी ओर से एक पत्र भेजा. प्रधानमंत्री मोदी ने शायर की भगवान श्री राम के प्रति भावनाओं को सराहनीय बताया और लिखा कि आप जैसे देशवासियों की ओर से किया जा रहे प्रयास राष्ट्र को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएंगे.
भोपाल से गंगा जमुनी तहजीब की एक बेहतरीन उदारण सामने आया है. यहां मुस्लिम शायर अंजुम बाराबंकवी ने भगवान श्री राम पर एक गजल लिखी है. शायर ने गजल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पढ़ने के लिए भेजी थी. पीएम ने शायर की तारीफ करते हुए एक उन्हें एक लेटर लिखा है. पीएम ने अपने पत्र में लिखा कि स्नेहपूर्ण पत्र के माध्यम से अपने विचारों को मुझे साझा करने के लिए आभार. अयोध्या धाम में प्रभु श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की 1 वर्ष पूर्ण होने पर अपनी प्रसन्नता को राम गजल में लिखकर अभिव्यक्त करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
मुस्लिम शायर ने लिखी राम पर गजल
राम गजल में प्रभु श्री राम के प्रति अपने प्रेम को आपने बहुत सुंदर ढंग से दर्शाया है. शायर अंजुम कहते हैं कि मेरे जीवन पर राम का बड़ा प्रभाव है. इसलिए राम पर गजल लिखी है ओर आगे भी लिखेंगे. अगर किसी को कोई दिक्कत हो तो उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. शायर अंजुम बाराबंकवी बताते हैं कि राम का व्यक्तित्व उन्हें बचपन से ही प्रभावित करता है. राम भले ही पुत्र के रूप में हो, भाई के रूप में हो या पति के रूप में हो या फिर वह राजा के रूप में राम ने जो मानक स्थापित किए हैं. वह कोई और नहीं कर सकता.
ये है मुस्लिम शायर को श्री राम पर लिखी गजल
डर लगता हैं मगर पास है दशरथ नंदन मेरी हर सांस का विश्वास है दशरथ नंदन
दिल के कागज पर कई बार लिखा है मैंने एक महकता हुआ एहसास है दशरथ नंदन
दूसरे लोगों के बारे में नहीं जानता हूं मेरे जीवन में बहुत खास है दशरथ नंदन
और कुछ दिन में समझ जाएगी छोटी सी दुनिया हम गरीबों की बड़ी आस है दशरथ नंदन
आप इस तरह समझ लीजिए मेरी अपनी जिंदगी के लिए मधुमास है दशरथ नंदन
यह जो दौलत है मेरे सामने मिट्टी भी नहीं मेरी किस्मत के मेरे पास दशरथ नंदन
मेरी यह बात भी जो चाहे परख सकता है सच के हर रूप के आकाश से दशरथ नंदन