छत्तीसगढ़ में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (CM Vishnu Deo Sai) की मौजूदगी में “मोर आवास-मोर अधिकार” (Mor Awas Mor Adhikar) कार्यक्रम का आयोजन हुआ. दुर्ग जिले के पार्श्वतीर्थ नगपुरा में आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 3.03 लाख प्रधानमंत्री आवास के निर्माण के लिए स्वीकृति पत्र प्रदान किया. इस दौरान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ वासियों, मैं मेहमान नहीं, परिवार का सदस्य हूं. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दो भाई हैं. मुझे छत्तीसगढ़ के हर जिले और हर मंडल में घूम-घूमकर युवा मोर्चे का काम खड़ा करने का सौभाग्य मिला है. यहां की स्मृतियां भुलाए नहीं भूलता.
खाली हाथ नहीं आया ये लेटर लेकर आया हूं : शिवराज सिंह चौहान
शिवराज सिंह ने कहा कि हमने फैसला किया है कि अब हितग्राही स्वयं आवास का सर्वे कर सकते हैं. पहले रमन सिंह जी ने छत्तीसगढ़ में अद्भुत और ऐतिहासिक विकास किया है. बीच में 5 साल कांग्रेस की सरकार ने विकास को रोक दिया, जैसे कालनेमी ने हनुमान जी को रोकने की कोशिश की थी. छत्तीसगढ़ में 5 साल ऐसी सरकार रही जिसने विकास को रोक दिया और गरीबों के मकान छीनने का पाप किया.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब आवास का सर्वे केवल सर्वेयर या अधिकारी ही नहीं बल्कि एप के माध्यम से हितग्राही खुद भी सेल्फ सर्वे कर सकते हैं. सेल्फ सर्वे के लिए आधार नंबर की जरूरत है, अपने मोबाईल में एप पर लॉगिन कीजिए, पहचान के लिए अपने चेहरे की फोटो खींचिए, अपने आप फोटो अपलोड हो जाएगा. फिर एप में एक फॉर्म आएगा उसके कॉलमों को भर दीजिए तो सर्वे की सूची में नाम जुड़ जाएगा. अधिकारियों की टीम एक बार परीक्षण कर लेगी और परीक्षण के बाद उन नामों को स्वीकार कर लिया जाएगा.
एक देश एक चुनाव पर यह कहा
इस देश में और कुछ हो न हो, लेकिन पांचों साल, बारह महीने चुनाव की तैयारी जरूर होती रहती है. एक साल पहले मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान के चुनाव खत्म नहीं हुए कि, लोकसभा के चुनाव आ गए. वो खत्म हुए नहीं कि, फिर हरियाणा, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और झारखंड के चुनाव आ गए. वो चुनाव खत्म हुए तो दिल्ली का दंगल शुरू हो गया और इसके बाद बिहार के चुनाव आ जाएंगे. ये लगातार होने वाले चुनाव देश की प्रगति में बाधा है. इसलिए संविधान में संशोधन होकर, पांच साल में एक बार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होने चाहिए.