भारतमाला प्रोजेक्ट में सामने आए कथित मुआवजा घोटाले को लेकर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को चिट्ठी भेजी थी। अब पीएमओ ने महंत की शिकायत पर संज्ञान लिया है। खुद डॉ. महंत ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र प्राप्त हुआ है। उम्मीद है कि केंद्र सरकार जल्द ही इस मामले की CBI जांच के लिए निर्णय लेगी।
डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि, “भारतमाला प्रोजेक्ट में जिस तरह से मुआवजे में गड़बड़ी की गई, वह बहुत गंभीर मामला है। मैंने इस घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखा था। अब पीएमओ से जवाब मिला है। उन्होंने कहा कि “मुझे उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस मामले की गंभीरता को समझते हुए CBI जांच पर निर्णय लेगी ताकि दोषियों को सजा मिल सके।”
EOW की जांच पर फिर उठे सवाल
महंत ने एक बार फिर राज्य की जांच एजेंसी EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार की घोषणा के बावजूद अब तक EOW ने अपराध दर्ज नहीं किया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की जांच एजेंसी की कार्यप्रणाली पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं। उन्होंने इसे “पक्षपातपूर्ण और असंवैधानिक” बताते हुए कहा कि ऐसी जांच कोर्ट में टिक नहीं पाएगी और इसका फायदा आरोपी उठा सकते हैं।
कितने करोड़ का घोटाला?
नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में दावा किया था कि भारत सरकार को 43 करोड़ 18 लाख 27 हजार 627 रुपए की आर्थिक क्षति हुई है। उनके अनुसार, वास्तविक मुआवजा राशि केवल 7 करोड़ 65 लाख रुपए थी, लेकिन 49 करोड़ 39 लाख रुपए से अधिक की राशि का भुगतान कर दिया गया।
डॉ. महंत ने आरोप लगाया कि अधिसूचना जारी होने के बाद फर्जी दस्तावेजों के जरिए नामांतरण और खातों का विभाजन किया गया। इसके चलते कई गुना अधिक मुआवजा दिखाकर भुगतान कर दिया गया।
विधानसभा में भी मानी गई गड़बड़ी
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि, राज्य के राजस्व मंत्री ने खुद विधानसभा में स्वीकार किया था कि जांच में गड़बड़ियों की पुष्टि हुई है। प्रारंभिक रिपोर्ट में आर्थिक क्षति की बात सामने आई थी। पहले कमिश्नर जांच के आदेश हुए, फिर EOW को जांच सौंपी गई, लेकिन अब तक न तो किसी के खिलाफ एफआईआर हुई और न ही कोई ठोस कार्रवाई।
CBI जांच की दोहराई मांग
महंत ने राज्य एजेंसी की जांच को नकारते हुए कहा कि, “इस तरह के गंभीर और बड़े घोटाले की जांच केवल CBI जैसी स्वतंत्र और सक्षम एजेंसी द्वारा ही होनी चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह मामला सिर्फ एक इलाके तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण मामलों की जांच होनी चाहिए।