हरियाणा के भिवानी जिले में बीते दिनों 19 वर्षीय युवती मनीषा की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. 11 अगस्त को लापता हुई यह लड़की 13 अगस्त को खेतों में मृत अवस्था में मिली. शुरुआत में यह मामला बेरहमी से किए गए मर्डर की तरह सामने आया. गला कटा, चेहरा बिगड़ा हुआ और परिवार की चीखे सुनकर हर कोई सिहर गया. लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, पुलिस और डॉक्टरों की रिपोर्ट ने इस कहानी का नया अध्याय खोला.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पलटी कहानी
14 अगस्त को पहला पोस्टमार्टम हुआ, लेकिन सवाल जस के तस रहे. इसके बाद शव का फिर से पोस्टमार्टम रोहतक पीजीआई में तीन डॉक्टरों के पैनल और विभागाध्यक्ष की देखरेख में कराया गया. पीजीआई रोहतक के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर कुंदन मित्तल ने चौंकाने वाला खुलासा किया. उन्होंने कहा शरीर में जहर के अंश मिले हैं. शरीर पर तेजधार हथियार से काटे जाने के निशान नहीं हैं. गले और शरीर पर जो घाव थे, वे जंगली जानवरों द्वारा काटे जाने जैसे प्रतीत हुए. किसी तरह के यौन शोषण या रेप की पुष्टि रिपोर्ट में नहीं हुई. यानि, जिस घटना को लोग बेरहमी से की गई हत्या मान रहे थे, वह रिपोर्ट में जहर खाने से मौत की ओर इशारा कर रही है.
लापता होने से लेकर शव मिलने तक
11 अगस्त की शाम ढाणी लक्ष्मण गांव की रहने वाली मनीषा घर नहीं लौटी. परिजन परेशान हुए और पिता संजय ने पुलिस को सूचना दी. बताया गया कि वह दिन में कॉलेज फॉर्म भरने और प्ले स्कूल में पढ़ाने के काम पर गई थी. 13 अगस्त को अचानक खबर आई कि सिंघानी गांव के खेतों में एक लड़की का शव पड़ा है. पहचान हुई तो वह मनीषा निकली. शव की हालत देखकर गांव में आक्रोश की लहर दौड़ गई. लोगों ने कहा कि उसका गला काटा गया, चेहरा तेजाब से जलाया गया और उसके साथ क्रूरता हुई.
परिजनों का आरोप और पुलिस की सुस्ती
मनीषा के पिता और मामा का कहना था कि 11 अगस्त को शिकायत देने के बावजूद पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई. उल्टा परिवार को यह कहकर टाल दिया गया कि लड़की कहीं घूमने गई होगी, चार दिन में खुद लौट आएगी. परिजनों का दावा था कि अगर उसी समय तलाश शुरू हो जाती तो शायद मनीषा आज जिंदा होती.
सड़क पर उतरी पंचायत
शव मिलने के बाद ग्रामीणों ने दिल्ली-जयपुर हाईवे जाम कर दिया. महापंचायतें होने लगीं. परिवार ने साफ कहा कि जब तक हत्यारों की गिरफ्तारी नहीं होगी, वे शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. इसी बीच भाजपा सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह मौके पर पहुंचे और खुद माना कि पुलिस से लापरवाही हुई है. पूर्व मंत्री जेपी दलाल, आईजी वाई. पूर्ण सिंह और कई बड़े नेता परिजनों को न्याय दिलाने का आश्वासन देने आए. जेजेपी नेता दिग्विजय चौटाला ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था दम तोड़ चुकी है, जबकि सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी ने सरकार की ओर से सख़्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया. मुख्यमंत्री नायब सैनी को दखल देना पड़ा. उन्होंने भिवानी एसपी का तबादला कर लोहारू थाने के एसएचओ सहित पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया.
सुसाइड या मर्डर?
रिपोर्ट के सामने आते ही पूरा मामला उलझ गया. पुलिस पहले ही इसको आत्महत्या की ओर झुकाकर देख रही थी. इसी दौरान एक कथित सुसाइड नोट भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. उसमें लिखा था कि मेरे माता-पिता दुनिया के सबसे अच्छे माता-पिता हैं. मैं डॉक्टर बनना चाहती थी. अगर मैं न रहूँ तो उनका ध्यान रखना. हालांकि पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की और साफ कहा कि बिना तथ्य के कोई भी अफवाह फैलाने पर कार्रवाई होगी.
परिवार का आक्रोश कायम
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस के बयान के बावजूद परिवार अपने आरोपों पर कायम है. उनका कहना है कि बेटी की हत्या हुई है और पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है. वे अभी भी मांग कर रहे हैं कि दोषियों को गिरफ्तार किया जाए. वैसे मामला दिन-ब-दिन सियासी रूप लेता गया. पंचायतें लगातार हो रही हैं, रोड जाम आम हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि गरीब घर की बेटी थी, इसलिए पुलिस ढीली रही. अगर यही किसी नेता या मंत्री की बेटी होती तो आरोपी कब के सलाखों के पीछे होते.
सवालों के घेरे में सिस्टम
इस केस ने हरियाणा की कानून-व्यवस्था और पुलिस की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
– क्या सचमुच पुलिस ने शुरुआती शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया?
– अगर मौत जहर खाने से हुई तो गला कटे होने और चेहरे बिगड़े होने की चर्चा कहां से फैली?
– कथित सुसाइड नोट असली है या किसी ने केस को मोड़ने के लिए फैलाया?
– अगर यह आत्महत्या है तो फिर इतनी बड़ी सियासत क्यों खड़ी हो गई?