वक्फ कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बवाल मचा हुआ है. हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ की वारदात हुई हैं और हिंसा में तीन लोगों की जान चली गयी है. मुर्शिदाबाद जिले के विभिन्न इलाकों के लोग डरे हुए हैं. हिंसा के भय से लोग अपना घर छोड़कर भाग रहे हैं. मुर्शिदाबाद से घर छोड़कर आए लोग मालदा के एक स्कूल में शरण लिये हुए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि धुलियान, शमशेरगंज के लगभग 500 लोगों ने मालदा के वैष्णवनगर के एक स्कूल में शरण ली है, हालांकि, प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यह संख्या 170 के करीब है.
वहीं, बेघर लोगों का दावा है कि उनके घरों में तोड़फोड़ की गई है और उन्हें जला दिया गया है. इतना ही नहीं, पानी में जहर भी मिला दिया गया है. वे किसी तरह बीएसएफ और पुलिस की मदद से अपने घरों से भागने में सफल रहे.
बेघर लोगों का अब अपने मकान और जमीन पर हक नहीं है. हमले डर से लगभग 500 परिवारों ने वैष्णवनगर परलाल हाई स्कूल में जगह ले ली हैय उसकी आंखों में डर का भाव है. सबकुछ खो देने का डर उन्हें खाए जा रहा है. अपनी जान के डर से वे अपने पैतृक घर छोड़कर नदी पार चले गए और अब पड़ोसी जिले में रहते हैं.
घरों में लगाई आग, प्रदर्शनकारियों ने बोला हमला
शमशेरगंज और धुलियान समेत कई इलाकों के लोग उस स्कूल के छोटे-छोटे कमरों में बेघर होकर अपना जीवन गुजार रहे हैं. सोना, आभूषण, धन, घरेलू सामान, फर्नीचर और यहां तक कि पशुधन को भी प्रदर्शनकारियों ने नहीं छोड़ा है.
।पुलिस बार-बार उस राहत शिविर में आ रही है. लोग उनके सामने गुस्सा दिखा रहे हैं. अब उनके लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या घर लौटने पर उन्हें वह जमीन या मकान वापस मिलेगा. प्रशासन शरण दे रहा है. लेकिन पुलिस कहां है? पुलिस की निष्क्रियता के कारण वे आज अपना घर छोड़ रहे हैं.
रविवार को पांच भाजपा विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रभावित लोगों से मिलने आया था. हबीपुर विधायक ज्वेल मुर्मू, गंगारामपुर विधायक सत्येन्द्रनाथ राय और गजल विधायक चिन्मय देव बर्मन समेत कुल पांच लोग आये थे. पीड़ितों ने विधायकों से बचाने की गुहार लगाई.
नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि धार्मिक कट्टरपंथियों के भय से मुर्शिदाबाद के धुलियान से 400 से अधिक हिंदुओं को नदी पार भागने और पार लालपुर हाई स्कूल, देवनापुर-सोवापुर ग्राम पंचायत, बैष्णबनगर, मालदा में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.
उन्होंने कहा कि टीएमसी की तुष्टिकरण की राजनीति ने कट्टरपंथी तत्वों को बढ़ावा दिया है. हिंदुओं का शिकार किया जा रहा है, हमारे लोग अपनी ही धरती पर जान बचाने के लिए भाग रहे हैं! कानून और व्यवस्था को बिगड़ने देने के लिए राज्य सरकार को शर्म आनी चाहिए. मैं जिले में तैनात केंद्रीय अर्धसैनिक बलों, राज्य पुलिस और जिला प्रशासन से आग्रह करता हूं कि वे इन विस्थापित हिंदुओं की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करें और इस जिहादी आतंक से उनके जीवन की रक्षा करें.
न अपना घर रहा और न ही कोई ठिकाना
एक महिला ने कहा, हमारे पास न घर है, न ठिकाना. उन्होंने हमारे पास जो कुछ भी था, उसे आग लगा दी है. उन्होंने उन पर पेट्रोल डाला दिया और घर में आग लगा दी. उन्होंने पानी की टंकी में जहर मिला दिया है हम क्या खाएंगे? हम कैसे जिंदा रहेंगे? हम कल दोपहर यहां आए थे. उन्होंने कहा कि हम नाव से भागकर यहां आए हैं. वे हमें पुलिस के पास ले गए हैं.
एक अन्य महिला ने कहा, “उन्होंने टैंक तोड़ दिया. वे हमें पीने के लिए पानी भी नहीं देते है. बच्चों ने सुबह से कुछ नहीं खाया है. पूरा परिवार भूखा मर रहा हैय उन्होंने हमारे सारे घर जला दिया. हम भाग पाए, क्योंकि वहां बीएसएफ थी.”
मालदा (सदर) के एसडीओ पंकज तमांग ने कहा, “कल से जो लोग आए हैं, उनके लिए हमने व्यवस्था कर दी है. हमने उनके लिए सभी व्यवस्थाएं कर दी हैं. साथ ही, उन्हें कपड़े भी दिए गए हैं. पीने का पानी दिया जा रहा है. मुझे लगता है कि 170 लोग आए हैं. कुछ लोग अपने परिवार के पास चले गए हैं. मैं सुन रहा हूं कि और लोग आएंगे, लेकिन सबसे अच्छी बात यह है कि स्थानीय लोगों ने भी हमारे साथ हाथ मिलाया है.”