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सैफुल्लाह की शोक सभा में भारत के खिलाफ उगला गया जहर… फिर उजागर हुआ PAK सेना और आतंकी संगठनों का गठजोड़

पाकिस्तान में एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि वहां की सेना और आतंकी संगठनों के बीच गहरा गठजोड़ है. हाल ही में सिंध प्रांत के मतली इलाके में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी रजाउल्लाह निजामनी उर्फ सैफुल्लाह की अज्ञात हमलावर की गोली से मौत हो गई. इस घटना के बाद पाकिस्तान में जो प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं, उन्होंने इस गठजोड़ को एक बार फिर बेनकाब कर दिया.

सैफुल्लाह की मौत पर शोक सभा का आयोजन पाकिस्तान मरकज मुस्लिम लीग (PMML) की सिंध यूनिट द्वारा किया गया. यही पार्टी हाफिज सईद के बेटे ताल्हा सईद की है. इस सभा में जहां एक ओर आतंकी सैफुल्लाह की मौत पर अफसोस जताया गया, वहीं दूसरी ओर भारत के खिलाफ जमकर जहर भी उगला गया.

इतना ही नहीं, इस सभा में पाकिस्तानी सेना और उसके प्रमुख जनरल से फील्ड मार्शल बने आसिम मुनीर की खुलकर प्रशंसा की गई और उनकी शान में कसीदे पढ़े गए. यह सभा ‘मार्का-ए-हक’ के नाम से आयोजित की गई, जिसमें सेना और आतंकी संगठनों की नजदीकी को एक बार फिर सार्वजनिक रूप से दर्शाया गया.

आतंकवाद की राजनीतिक धारा में घुसपैठ

PMML वही पार्टी है, जिसके टिकट पर ताल्हा सईद ने लाहौर से नेशनल असेंबली का चुनाव लड़ा था. हालांकि ताल्हा और उसकी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव में हार गए, लेकिन इस पार्टी की भूमिका अब भी पाकिस्तान की आतंकी राजनीति में अहम बनी हुई है.

PMML के अधिकतर सदस्य लश्कर-ए-तोयबा और जमात-उद-दावा जैसे कुख्यात आतंकी संगठनों से जुड़े रहे हैं. यही नहीं, इनमें से कई 2017 में हाफिज सईद द्वारा बनाई गई पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग के भी सदस्य रह चुके हैं.

भारत विरोध की आड़ में आतंकवाद का महिमामंडन

इस सभा में जिस तरह आतंकी की मौत को शहादत बताया गया और भारत के खिलाफ जहर उगला गया, उससे यह बात फिर साबित हो गई कि पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टियां और सेना मिलकर आतंकवाद को बढ़ावा दे रही हैं.

भारत द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर के तहत एयर स्ट्राइक्स में मारे गए लश्कर के आतंकियों की नमाज-ए-जनाजा की अगुवाई करने वाला हाफिज अबदुर्रऊफ भी PMML का ही कार्यकर्ता था. यह बात खुद पाकिस्तान ने दुनिया को सफाई देते हुए मानी थी.

सेना-आतंकी गठजोड़: वैश्विक शांति के लिए खतरा

यह कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान में सेना और आतंकी संगठनों के गठजोड़ का पर्दाफाश हुआ है. लेकिन हर बार पाकिस्तान की सरकार और फौज खुद को पाक-साफ बताने की नाकाम कोशिश करती रही है.

हाफिज सईद, मसूद अजहर, जकीउर रहमान लखवी जैसे आतंकियों को शह और संरक्षण देने वाली पाकिस्तानी व्यवस्था अब नए चेहरों और राजनीतिक पार्टियों के जरिए आतंकवाद को एक वैध मंच देने की कोशिश कर रही है.

रविवार को सैफुल्लाह की हुई हत्या

बता दें कि रविवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने ताबड़तोड़ गोलियां मारकर सैफुल्लाह की हत्या कर दी थी. वह लश्कर के नेपाल मॉड्यूल का इंचार्ज था. पाकिस्तान में रहकर लश्कर के लिए रिक्रूटमेंट का काम देख रहा था यानी आतंकियों की भर्ती कर रहा था. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में लश्कर के टॉप आतंकियों की सुरक्षा में पाक आर्मी और ISI ने इजाफा किया है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद सैफुल्लाह को भी लश्कर की तरफ से घर से ज्यादा बाहर नहीं निकलने को कहा गया था. सैफुल्लाह की सुरक्षा भी बढ़ाई गई थी.

भारत में कौन से हमले में सैफुल्लाह था शामिल?

– महाराष्ट्र के नागपुर में RSS मुख्यालय में साल 2006 में हमले की साजिश रची थी. आतंकी एंबेसडर कार में पुलिस के कपड़े पहनकर आए थे. हालांकि, वह हमला करते उससे पहले पुलिस ने तीन आतंकियों को मार गिराया. इन लोगों के पास से AK-56 राइफल, हैंड ग्रेनेड और आरडीएक्स मिले थे.

– 2008 में उत्तर प्रदेश के रामपुर में स्थित CRPF कैंप पर हमला करवाया था. इस हमले में सात जवान शहीद हो गए थे. इस मामले में NIA ने तीन लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

– बेंगलुरु में 2005 में आतंकी हमला हुआ था. भारतीय विज्ञान संस्थान के एक ऑडिटोरियम में चल रहे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बाद बाहर निकल रहे लोगों पर आतंकियों ने गोलीबारी की थी जिसमें एक प्रोफेसर की मौत हो गई थी और कई अन्य लोग घायल हो गए थे.

 

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