रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू, सीनियर IPS अफसरों की टीम तैयार

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पहली बार पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने जा रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्वतंत्रता दिवस पर इस प्रणाली को लागू करने का ऐलान किया था। पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने के लिए DGP अरुण देव गौतम ने सात IPS अफसरों की टीम बनाई है। इस टीम की अध्यक्षता ADG प्रदीप गुप्ता करेंगे। टीम में नारकोटिक्स IG अजय यादव, रायपुर रेंज IG अमरेश मिश्रा, IG ध्रुव गुप्ता, DIG अभिषेक मीणा, DIG संतोष सिंह और SP प्रभात कुमार शामिल हैं। ये सभी सीनियर अफसर अन्य राज्यों के कमिश्नर सिस्टम का अध्ययन करके रायपुर में इसे लागू करेंगे।

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पुलिस कमिश्नर प्रणाली में कमिश्नर को कलेक्टर जैसे अधिकार मिलेंगे। वे मजिस्ट्रेट की तरह प्रतिबंधात्मक आदेश दे सकते हैं और शांति भंग की आशंका में हिरासत, गुंडा एक्ट या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू कर सकते हैं। इसके अलावा होटल, बार और हथियारों के लाइसेंस जारी करने, धरना-प्रदर्शन की अनुमति देने, दंगे में बल प्रयोग और जमीन विवाद सुलझाने तक के अधिकार पुलिस को मिलेंगे।

इस प्रणाली में पुलिस कमिश्नर, संयुक्त पुलिस आयुक्त, अपर पुलिस आयुक्त, पुलिस उपायुक्त, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त, सहायक पुलिस आयुक्त, पुलिस निरीक्षक, उप-निरीक्षक और कॉन्स्टेबल की पोस्ट होती है। महानगर को कई जोनों में बांटा जाएगा, हर जोन में डीसीपी और 2 से 4 थानों को देखेगा एसीपी तैनात होंगे। ADG स्तर के सीनियर IPS को कमिश्नर बनाया जाएगा।

रायपुर में इस प्रणाली को लागू करने की मुख्य वजह बढ़ता अपराध है। जनवरी 2025 से अब तक लगभग 6 हजार केस दर्ज किए गए, जिसमें 50 से अधिक हत्या और 65 से ज्यादा चाकूबाजी के मामले शामिल हैं। लूट, चोरी, मारपीट और नशीली सामग्री की बिक्री की घटनाओं में भी बढ़ोतरी हुई है। इसी कारण से मुख्यमंत्री ने कमिश्नर प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया।

अन्य राज्यों में यह प्रणाली पहले से लागू है। राजस्थान में एसीपी को शांतिभंग और पब्लिक न्यूसेंस रोकने के अधिकार दिए गए हैं। महाराष्ट्र के नागपुर में पुलिस कमिश्नर के पास अपराधियों को जिला बदर करने, सार्वजनिक स्थल घोषित करने, जलसों और जुलूस की अनुमति देने के अधिकार हैं। उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और नोएडा में 14 एक्ट के अधिकार पुलिस को दिए गए हैं।

रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली 1 नवंबर से लागू होने की संभावना है। पायलट प्रोजेक्ट सफल होने पर बिलासपुर, दुर्ग और अन्य जिलों में भी इसे लागू किया जाएगा। इसका उद्देश्य अपराध दर पर नियंत्रण और कानून व्यवस्था को प्रभावी बनाना है।

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