छत्तीसगढ़ की राजधानी में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने DGP अरुण देव गौतम ने 7 IPS अफसरों की टीम बनाई है। इसमें ADG प्रदीप गुप्ता को ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। अफसरों की ये टीम ड्राफ्ट बनाकर DGP अरुण को सौपेंगी।
ADG प्रदीप गुप्ता की ड्राफ्टिंग कमेटी में नारकोटिक्स IG अजय यादव, रायपुर रेंज IG अमरेश मिश्रा, IG ध्रुव गुप्ता, DIG अभिषेक मीणा, DIG संतोष सिंह और SP प्रभात कुमार मेंबर बनाए गए हैं। ये सभी सीनियर IPS अधिकारी हैं, जो दूसरों राज्यों के वर्क सिस्टम का भी स्टडी करेंगे।
CM विष्णुदेव साय ने में 15 अगस्त को पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने का ऐलान किया था। रायपुर छत्तीसगढ़ का पहला जिला होगा, जहां पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होगी। रायपुर में ये सिस्टम 1 नवंबर 2025 से लागू हो सकता है। पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा, तो बिलासपुर, दुर्ग, समेत अन्य जिलों में इस सिस्टम को शुरू किया जा सकता है।
इस रिपोर्ट में विस्तार से पढ़िए क्या है पुलिस कमिश्नर सिस्टम, कैसे करता है काम, अभी किन-किन राज्यों में है लागू, भारत में पहली बार कब ये सिस्टम लागू क्या गया था, जिसका मकसद क्राइम ग्राफ पर लगाम लगाना था ?
कमिश्नर प्रणाली में पुलिस के पास और क्या-क्या ताकत ?
पुलिस कमिश्नर प्रणाली में कमिश्नर को कलेक्टर जैसे कुछ अधिकार मिलते हैं। वे मजिस्ट्रेट की तरह प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर सकते हैं। कानून के नियमों के तहत दिए गए अधिकार उन्हें और भी प्रभावी बनाते हैं। इससे कलेक्टर के पास लंबित फाइलें कम होती हैं। फौरन कार्रवाई संभव होती है।
इस प्रणाली में पुलिस को शांति भंग की आशंका में हिरासत, गुंडा एक्ट, या राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) जैसी धाराएं लगाने का अधिकार मिलता है। होटल, बार और हथियारों के लाइसेंस जारी करने, धरना-प्रदर्शन की अनुमति, दंगे में बल प्रयोग और जमीन विवाद सुलझाने तक के निर्णय पुलिस स्तर पर लिए जा सकते हैं।