दुबौलिया थाना क्षेत्र के उभाई गांव के आदर्श को मारपीट के मामले में पुलिस ने नाबालिक को 24 मार्च को ले गई थी पूछताछ के नाम पर इतना पीटा कि उसे गंभीर चोटें आई. इलाज के लिए CHC हरैया पर लाया गया CHC डॉक्टर ने किया जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया परिजन जब इलाज हेतु जिला चिकित्सालय ला रहे थे उसी दरम्यान युवक की मौत हो गई.
25 मार्च को देर शाम पहले सीओ सदर आते है दो पुलिस कर्मी को निलंबित करने की वहाँ पहुँचे मीडिया को बाइट देते हैं. लेकिन मीडिया को जानकारी देने के लिए जो वॉट्सऐप ग्रुप बना उस पर इस आशय की कोई जानकारी नही दी जाती है और न ही कोई मेल होता है.
26 मार्च को पोस्टमार्टम हाउस पर लगभग सभी पार्टी के नेता थानाध्यक्ष पर fir की मांग, मुवावजा और अन्य मांग रखते हैं। सिर्फ आश्वासन. यहाँ तक की सत्तारूढ़ दल भाजपा के जिलाध्यक्ष एफआईआर की जिद करते हैं लेकिन सब शून्य रहा.
देर रात करीब 10 बजे डीएम जांच की बात कहते है और अन्य मांगों पर आश्वासन देते हैं. नेता शांत, नेता की शक्ति अपने दिन भर के प्रयास को देखकर मिले फल पर खत्म
फिर करीब रात 10 बजे मतलब 25 मार्च सांय के बाद पुलिस महकमा अपनी नींद से जगता है और एएसपी की बाइट कार्यवाही पर आती है कि प्रभारी निरीक्षक को लाइन हाजिर और दो पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया. सोचिए कितना समय लग गया एक थानाध्यक्ष, पुलिस कर्मियों पर कार्यवाही करने में. लेकिन कल जो सीओ सदर ने पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर किया था उसका एएसपी की बाइट में कोई जिक्र नही. पता नही पुलिसकर्मी लाइन हाजिर हुए भी थे या नही.
एएसपी ने आदर्श मौत पर बाइट देते हुए बताया कि पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पस्ट नहीं (जबकि अमूमन यदि पिटायी यानी चोट से मौत होती है तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आ जाता है) बिसरा जांच के लिए सुरक्षित रखा जाता है. जिसकी रिपोर्ट शायद इतनी जल्दी आने वाली नहीं.
पुलिस प्रशासन अपने पुलिस कर्मी को सेफ करने में कामयाब हो गया. क्योंकि बिसरा रिपोर्ट इतनी जल्दी आने वाली नहीं है. थानाध्यक्ष लाइन हाजिर है निलंबित नहीं, फिर थाना मिल सकता है. तब तक सबकुछ सामान्य हो जायेगा.