गाजीपुर : अब इसे पुलिस का तानाशाही कहें या फिर कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करना गाजीपुर में भाजपा कार्यकर्ता के मौत के बाद लगातार उनके परिजनों से मिलने और आर्थिक मदद देने का क्रम जारी है और इसी क्रम में पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र के द्वारा आर्थिक मदद के लिए भेजे गए डेलिगेशन को पुलिस ने पहले कोतवाली में करीब डेढ़ से 2 घंटे तक बैठाया और फिर नोनहरा थाने पर भी कई घंटे तक बैठाने के बाद सभी को बैरंग वापस कर दिया.
गाजीपुर के नोनहरा थाना क्षेत्र के चक रुकींद्दीनपुर गांव सभा में 9 सितंबर को गांव की बिजली के खंबे की समस्या को लेकर कुछ ग्रामीण नोनहरा थाने में धरने पर बैठे थे.और उसी रात लगभग 1:30 बजे के आसपास पुलिस के द्वारा लाइट को बूझाकर धरने पर बैठे लोगों पर लाठीचार्ज कर दिया गया. जिसमें कई ग्रामीण बुरी तरीके से घायल हो गए और इस ग्रामीणों में सियाराम उपाध्याय भी घायल हुए सभी घायल और धरने पर बैठे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता बताए जा रहे थे.
सियाराम उपाध्याय के घायल हो जाने के बाद उनका इलाज पुलिसिया डर की वजह से किसी अस्पताल में नहीं कराया गया.बल्कि उसका इलाज घर पर ही निजी डॉक्टर को बुलाकर किया गया जिसके चलते उसकी मौत हो गई और मौत के बाद हंगामा मच गया.
मौत की जानकारी के बाद भाजपा कार्यकर्ता और स्थानिय ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा और लोग जमकर हंगामा करने लगे। जिसकी जानकारी पर भाजपा जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश राय भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने साफ लफ्जो में कहा कि धरना का भाजपा से कोई संबंध नहीं है.जिसको लेकर उसमें जिला अध्यक्ष का विरोध हुआ था वही बाद में पुलिस अधीक्षक ने इस मामले को चोट से मौत की बात कही थी.और देर शाम होते-होते थाना अध्यक्ष सहित 6 पुलिस कर्मी को सस्पेंड और 6 पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया था.
वही इस घटना के बाद मृतक का भाई शशिकांत उपाध्याय जो गुजरात में ट्रक चलाने का काम करता था वह अपने घर पहुंचा तब उसे प्रशासन के द्वारा 10 लाख रुपए दिए गए थे.लेकिन यह पैसा कहां से और कैसे दिया गया था इसका प्रशासन में कोई अपने प्रेस विज्ञप्ति में कहीं भी जिक्र नहीं किया था.और इसका खुलासा तब हुआ जब सियाराम उपाध्याय के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आई जिसमें हार्ट अटैक से मौत का मामला बताया गया.
जिसकी जानकारी पर शशिकांत उपाध्याय का गुस्सा फूट पड़ा और उसने मीडिया के सामने सांप लफ्जो में कहा कि प्रशासन ने जो 10 लाख रुपए दिए हैं मैं उसे वापस कर रहा हूं.क्योंकि जब मेरे भाई की मौत हार्ट अटैक से हुई है तब पैसा लेने का क्या मतलब है.और उसने यह भी कहा कि हार्ट अटैक से बहुत सारे मौत होते हैं तो क्या उनके घर पर इतने पुलिसकर्मी लगाए जाते हैं.
जरूर इसमें कुछ ना कुछ दाल में काला है और उसने उस वक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी कई तरह के आरोप लगा दिए थे जिसके बाद ही उसका बयान सोशल मीडिया पर चलने लगा और जिला प्रशासन के साथ ही प्रदेश सरकार की किरकिरी होनी शुरू हो गई थी.हालांकि बाद में किसी दबाव में आकर शशिकांत उपाध्याय ने अपने बयान पलट दिए थे.
वही एक दिन पूर्व गाजीपुर के रहने वाले पूर्व राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने अपना एक डेलिगेशन मृतक परिवार से मिलने के लिए भेजा था.और इस परिवार को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए ₹100000 की सहायता राशि भी भेजी गई थी.लेकिन पुलिस प्रशासन ने इस डेलिगेशन को पहले गाजीपुर कोतवाली में करीब डेढ़ से 2 घंटे तक रोके रहा और उसके बाद नोनहरा थाने पर 2 से 3 घंटे बैठने के बाद उन्हें बैरंग वापस कर दिया गया और बताया गया कि ऊपर से आदेश है कि पीडिटी के परिवार से कोई नहीं मिलेगा.
इस दौरान डेलिगेशन ने कलराज मिश्रा से फोन कर पूरे मामले को से अवगत कराया और पुलिस अधिकारियों से बात भी कराई बावजूद इसके पुलिस अधिकारियों ने उन लोगों को पीड़ित परिवार से मिलने नहीं जाने दिया इसके बाद प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राम तेज पांडे कल राज मिश्रा के भतीजे ओमकार मिश्रा भाजपा नेता दिनेश वर्मा सहित तमाम डेलिगेशन में शामिल लोग बजरंग वापस हुए और इसे पुलिस का तानाशाही बताते हुए प्रेस वार्ता कर इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी दिया था.