मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों के खिलाफ शिकंजा कसते हुए जबलपुर में बड़ी कार्रवाई की गई है। 11 स्कूलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिनमें इन स्कूलों के 80 व्यक्तियों को दोषी बनाया गया है। इन स्कूलों ने न केवल नियमों की अवहेलना करते हुए फीस बढ़ाई बल्कि यूनीफॉर्म, पुस्तकें और स्टेशनरी निर्धारित दुकानों से खरीदने के लिए दबाव डाला। जबलपुर कलेक्टर के आदेश पर हुई जांच में 125 करोड़ रुपये का घोटाला होने की बात सामने आई है। स्कूल प्रबंधकों को नियमविरुध्द वसूली गई फीस 30 दिनों में अभिभावकों को लौटाने के निर्देश दिए हैं। स्कूल प्रबंधक राशि नहीं लौटाते हैं तो उनके खिलाफ कुर्की की कार्रवाई होगी। 22 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि जांच में यह बात सामने आई कि मध्य प्रदेश निजी विद्यालय फीस अधिनियम की धारा 5.2 का पालन न करते हुए मनमाने तरीके से फीस बढ़ाई गई। प्रावधानों के तहत ऑडिट रिपोर्ट अपलोड नहीं की। पांच प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि की लेकिन समिति को सूचना नहीं दी। 10 प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि के लिए जिला कलेक्टर तथा 15 प्रतिशत से अधिक वृद्धि के लिए राज्य स्तरीय कमेटी से अनुमति लेनी थी, जो नहीं ली गई। निजी स्कूलों ने इस तरह 81.30 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया है।
जबलपुर के पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह ने बताया कि नौ थानों में 11 निजी स्कूलों के खिलाफ धारा 409, 420, 467, 468 तथा 120-बी के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। प्रकरण में 80 लोगों को आरोपी बनाया है। एक आरोपी का नाम दो या अधिक एफआईआर में भी है। पुलिस ने स्कूल प्रबंधन के 30 व्यक्तियों, पांच पुस्तक विक्रेता तथा 16 प्रकाशकों के खिलाफ को आरोपी बनाया गया है। इस प्रकार कुल वास्तविक आरोपियों की संख्या 51 है। 20 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इन स्कूलों के खिलाफ हुई कार्रवाई
क्राइस्ट चर्च, सालीवाडा
लिटिल वर्ल्ड
स्टेम फील्ड
ज्ञानगंगा आर्किड
चैतन्य टेक्नो
क्राइस्ट चर्च, आईएससी
सेंट एलॉयसिस पोली
क्राइस्ट चर्च डाइसेशन
सेंट एलॉयसिस सदर
सेंट एलॉयसिस रिमझा
क्राइस्ट चर्च बॉयज
ऐसे की जांच
आठ एसडीएम को जांच में लगाया गया था। उन्होंने 12 तहसीलदार, 25 जिला शिक्षा अधिकारी, 60 अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर इस जांच को अंजाम दिया। पांच जगह आकस्मिक छापे मारे। 50 से अधिक स्कूलों में विजिट की। दो बार खुली सुनवाई भी की गई थी।