जनप्रतिनिधि अक्सर अपने साथ लंबी-लंबी गाड़ियों और समर्थकों की भारी भीड़ के साथ अपने क्षेत्र में होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पहुंचते हैं. और इस दौरान कई समर्थक उनके पैर छूकर नजर आते हैं. जिस पर जनप्रतिनिधि कई तरह की प्रतिक्रिया देते रहते हैं.
इसके इतर टीकमगढ़ के सांसद डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक ने समर्थकों द्वारा पैर हुए जाने के मामले पर नाराजगी जताई है और पैर छूने वाले लोगों को सख्त हिदायत दी है. इसको लेकर उन्होंने अपने घर की दीवार पर एक नोटिस भी चस्पा कर दिया है.
‘पैर छूने वालों का नहीं होगा काम’
वीरेंद्र खटीक ने रविवार को अजब फरमान जारी कर उसे अपने ऑफिस और चस्पा करा दिया है. जिसमें लिखा है कि पैर पड़ना सख्त मना है. जबकि दूसरे पर्चे में लिखा है, जिसने पैर छुए उसके काम की सुनवाई नहीं की जाएगी. इस पर्चे को देख कर लोग अचंभित हैं.
वीरेंद्र कुमार एक सहज और सरल प्रवृत्ति के जनप्रतिनिधि हैं जो लोगों के पैर छूने से परहेज करते हैं. उन्हें अक्सर टीकमगढ़ प्रवास के दौरान सुबह से ही अपने निज निवास से कलेक्ट्रेट कार्यालय तक पैदल घूमते हुए देखा जाता है.
बुंदेलखंड के अपराजित योद्धा कहे जाते हैं वीरेन्द्र कुमार
मूल रूप से सागर के निवासी डॉ. वीरेन्द्र कुमार की बात करें, तो सादगी के लिए मशहूर वीरेन्द्र कुमार अब तक एक भी लोकसभा चुनाव नहीं हारे हैं. उन्होंने चुनावी राजनीति की शुरूआत 1996 से की थी और सागर से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े थे. 2008 के परिसीमन के बाद उन्हें अपना क्षेत्र बदलना पड़ा और 2009 लोकसभा चुनाव से वीरेन्द्र कुमार टीकमगढ़ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं और लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं. उनको 28 साल की चुनावी राजनीति में आज तक हार का सामना नहीं करना पड़ा है. इसलिए उन्हें उनके समर्थक बुंदेलखंड के अजेय योद्धा के तौर पर भी संबोधित करते हैं.कभी बनाते थे पंचर, आज भी करते हैं स्कूटर की सवारी
वीरेन्द्र कुमार का जीवन संघर्ष भरा रहा है. उनके पिता की साइकिल की दुकान थी, जिसके सहारे परिवार का भरण पोषण होता था. छोटी सी उम्र में डाॅ. वीरेन्द्र कुमार अपने पिता की साइकिल की दुकान पर बैठते थे और साइकिल सुधारने और पंचर बनाने का काम करते थे. केंद्रीय मंत्री होते हुई भी सादगी पसंद जीवन जीने वाले वीरेन्द्र कुमार कई बार पंचर सुधारने वालों के साथ बैठ जाते हैं और उन्हें टिप्स भी देते हैं.