रीवा : उस वक्त सियासी पारा चढ़ गया, जब बीते दिन एनएसयूआई के छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में कांग्रेस कमेटी सड़कों पर उतर आई. यह विरोध प्रदर्शन इतना उग्र था कि पुलिस और प्रशासन के होश उड़ गए. आखिर ऐसा क्या हुआ कि शांत प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस की लाठी का सामना करना पड़ा मामला शुरू हुआ जब एनएसयूआई के छात्र नशा और कोरेक्स के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुँचे.उनका मकसद शांतिपूर्वक ज्ञापन सौंपना था, लेकिन जैसा कि कांग्रेस का दावा है, उन्हें लाठीचार्ज का सामना करना पड़ा.कांग्रेस के नेताओं ने इसे “द्वेषपूर्ण कार्रवाई” बताया है और पुलिस पर बिना किसी उकसावे के बल प्रयोग का आरोप लगाया है.
कांग्रेस ने इस लाठीचार्ज को लेकर पुलिस और प्रशासन पर सीधे सवाल उठाए हैं.उन्होंने पूछा कि जब BJP नेता आंदोलन करते है तब उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती और जब कांग्रेस के छात्र शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग रखने आए, तो उन पर लाठी क्यों बरसाई गई? क्या यह सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि वे विपक्ष से जुड़े है.
कांग्रेस के शहर अध्यक्ष ने सीधे तौर पर पुलिस अधिकारी को जिम्मेदार ठहराया है.उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी सिविल ड्रेस में आए और खुद छात्रों पर लाठियां चलाईं. विरोध प्रदर्शन के दौरान, कांग्रेस ने न सिर्फ लाठीचार्ज की निंदा की, बल्कि प्रशासन के सामने कुछ सख्त मांगें भी रखीं:
लाठीचार्ज करने वाले अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो.उन्हें तुरंत रीवा से हटाया जाए.शहर में पुलिस की मिलीभगत से चल रहे नशीले पदार्थों के नेटवर्क (खासकर कोरेक्स) पर रोक लगे. पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन बिना अनुमति के किया गया था, लेकिन कांग्रेस ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है. अब सवाल यह उठता है कि क्या इस मामले की निष्पक्ष जांच होगी या फिर यह सिर्फ एक और राजनीतिक दांव-पेंच बनकर रह जाएगा अब देखना यह होगा कि इस मामले में प्रशासन क्या कदम उठाता है और क्या छात्रों को इंसाफ मिल पाएगा.