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राम मंदिर भूमि पर सियासी रण: मिल्कीपुर सीट पर भाजपा और सपा की अग्निपरीक्षा!

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अयोध्या : मिल्कीपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव का सियासी पारा चढ़ चुका है.भाजपा ने मंगलवार को अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी.चंद्रभान पासवान को पार्टी ने मैदान में उतारा है.वहीं, समाजवादी पार्टी पहले ही सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी है.यह सीट भाजपा और सपा दोनों के लिए न सिर्फ अहम है, बल्कि प्रतिष्ठा का सवाल भी बन चुकी है.

भाजपा के चंद्रभान पासवान का सफर

तीन अप्रैल 1986 को रुदौली के परसौली गांव में जन्मे चंद्रभान पासवान पेशे से व्यवसायी हैं. उनके पास एमकॉम और एलएलबी की डिग्रियां हैं. रुदौली बाजार में उनका कपड़े का शोरूम और पेपर का थोक कारोबार है.चंद्रभान राजनीति से भले सीधे जुड़े नहीं रहे, लेकिन उनकी पत्नी और पिता का राजनीतिक सफर मजबूत रहा है.चंद्रभान की पत्नी दो बार जिला पंचायत सदस्य चुनी जा चुकी हैं, और उनके पिता राम लखन पासवान चार बार ग्राम प्रधान रह चुके हैं.

सपा के लिए यह सीट क्यों अहम?

मिल्कीपुर सीट सपा के सांसद अवधेश प्रसाद के विधायक चुने जाने के बाद खाली हुई.2024 के लोकसभा चुनाव में अवधेश प्रसाद की जीत ने भाजपा को बड़ा झटका दिया था. अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन के बावजूद भाजपा को लोकसभा सीट गंवानी पड़ी, जिसे सपा ने अपनी बड़ी जीत माना.

भाजपा की रणनीति और चुनौतियां

भाजपा के लिए मिल्कीपुर सीट पर जीतना दोहरी चुनौती है. एक तरफ वह लोकसभा सीट हारने का बदला लेना चाहती है, तो दूसरी तरफ यह दिखाना चाहती है कि सपा की जीत केवल संयोग थी.सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद मोर्चा संभाल रखा है और लगातार क्षेत्र के दौरे कर रहे हैं.हालांकि, पिछले दो विधानसभा चुनावों में भाजपा की लहर होने के बावजूद इस सीट पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है.

सपा का आत्मविश्वास

सपा का दावा है कि उपचुनाव में जनता ने हमेशा उसे ही समर्थन दिया है.1995 और 2004 के उपचुनावों में सपा ने जीत दर्ज की थी.इस बार भी सपा का मानना है कि जनता भाजपा के विकास के दावों को खारिज कर उसकी नीतियों के खिलाफ वोट देगी.

चुनाव कार्यक्रम

नामांकन की अंतिम तारीख 17 जनवरी है.18 जनवरी को नामांकन पत्रों की जांच होगी, और 20 जनवरी तक नाम वापस लिए जा सकेंगे.पांच फरवरी को मतदान होगा, और आठ फरवरी को नतीजे घोषित होंगे.

कौन मारेगा बाजी?

मिल्कीपुर उपचुनाव न सिर्फ भाजपा और सपा के लिए, बल्कि प्रदेश की राजनीति के लिए भी बेहद अहम साबित होगा.यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी जनता का विश्वास जीतती है और कौन इस प्रतिष्ठित सीट पर कब्जा जमाता है.

 

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