डोंगरगढ़ के विकास कार्यों पर सियासी विवाद, क्या मिलेगा जनता को 3 करोड़ रुपये का फायदा?

राजनांदगांव : छत्तीसगढ़ राज्य के दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों को जनता के हित में तमाम दावे करते हुए देखा जा सकता है, बावजूद इसके राजनांदगांव जिले का डोंगरगढ़ शहर अब भी विकास के कार्यों में तेजी लाने की गुहार लगाता दिखाई दे रहा है . इसके बाद भी शहर के विकास कार्यों के लिए शासन के द्वारा भेजी गई राशि राजनीति के परवान चढ़ जाती है, देखिए यह रिपोर्ट.

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राजनांदगांव जिले में धर्म नगरी के नाम से प्रसिद्ध डोंगरगढ़ शहर जहां नगर पालिका क्षेत्र में 24 वार्ड है और अध्यक्ष पद की कमान कांग्रेस के हाथ में है. जहां शहर विकास के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लगभग 3 करोड़ रुपए के विभिन्न विकास कार्यों को अधो संरचना मद से किए जाने की स्वीकृति प्राप्त हुई थी.

परंतु तभी आनन फानन में नगर पालिका में सत्तासीन कांग्रेस के अध्यक्ष और पार्षद दल के द्वारा पी आई सी की बैठक बुला कर इन कार्यों को निरस्त करने के लिए पत्र शासन को भेज दिया जाता है. नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष सुदेश मेश्राम ने आरोप लगाया है कि अधो संरचना मद से जिन विकास कार्यों को स्वीकृति मिली है वे केवल कुछ चुनिंदा भाजपा पार्षदों के वार्ड है.

जबकि इस मद का प्रयोग शहर के चौंमुखी विकास के लिए किया जाना चाहिए इसलिए पी आई सी ने इसे वापस भेजने के लिए पत्र लिखा है. वही नगर पालिका परिषद डोंगरगढ़ में नेता प्रतिपक्ष अमित छाबड़ा ने कहा कि पिछले कांग्रेस के कार्यकाल में शहर के विकास में कोई कार्य नहीं हुए वही अब अधो संरचना मद से विकास कार्यों की स्वीकृति मिली थी.

जिसे बैठक कर कांग्रेस अध्यक्ष और पार्षद दल के द्वारा वापस भेज दिया गया जो शहर विकास में बाधा है. वही नगर पालिका अध्यक्ष के द्वारा भाजपा पार्षद के वार्डों में कार्य स्वीकृत के आप पर पलटवार करते हुए अमित छाबड़ा ने कहा कि इस मद में 21 से 22 वार्डों में कार्य स्वीकृत हुआ था.

और पिछले 4 वर्षों में अध्यक्ष सुदेश मेश्राम ने शहर विकास में क्या कार्य किया है आने वाले चुनाव के दिन में हुई क्या मुंह लेकर जनता के पास जाएंगे.वही आगे अधो संरचना मद के कार्यों को वापस भेजने के कारण पूछने पर नेता प्रतिपक्ष ने कमीशन खोरी जैसे गंभीर आरोप लगा दिए.

वही नगर पालिका परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारी अब पी आई सी द्वारा जिन विकास कार्यों को वापस भेजने की मांग की गई है उसे परिषद की बैठक बुलाकर स्वीकृत कराने की तैयारी में है.

जिससे आगामी महीना में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव के पहले इन तमाम विकास कार्यों की टेंडर प्रक्रिया पूरा कर कार्य को शुरू कर दिया जाए जिससे की शहर वासियों को इन विकास कार्यों का लाभ मिल सके.

बहरहाल राजनांदगांव जिला ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में धर्मनगरी के नाम से प्रसिद्ध डोंगरगढ़ शहर अब खुद के विकास कार्यों के लिए तरसता नजर आ रहा है बावजूद इसके जिन विकास कार्यों की स्वीकृति शासन के द्वारा मिलती भी है.

वह कहीं ना कहीं स्थानीय राजनीति के शिकार होते नजर आती है. ऐसे में यह आने वाला समय ही तय करेगा कि शासन द्वारा स्वीकृत अधो संरचना मद का लाभ क्या आम जनता को मिल पाता है या यह ये विकास कार्य केवल फाइल में ही दब कर रह जाएंगे ?

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