महाराष्ट्र में आरक्षण पर सियासी बवाल: ओबीसी नाराज, बीजेपी कर रही डैमेज कंट्रोल

महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर आरक्षण के मुद्दे पर गरमा गई है। मराठा समाज को आरक्षण देने के हालिया फैसले के बाद ओबीसी समुदाय में नाराजगी बढ़ती जा रही है। ओबीसी नेताओं और संगठनों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि मराठों को आरक्षण देने से उनके अधिकारों का हनन होगा। इस विवाद ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

मराठा आरक्षण को लेकर सरकार ने हाल ही में बड़ा कदम उठाया और मराठा समाज को कुंभी जाति का दर्जा देकर ओबीसी कोटे में शामिल करने का ऐलान किया। इस फैसले के बाद ओबीसी वर्ग ने कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि पहले से ही सीमित आरक्षण में हिस्सेदारी घट जाएगी और असली हकदारों को नुकसान होगा।

ओबीसी संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया तो वे सड़कों पर उतरेंगे। कई जगह विरोध प्रदर्शन शुरू भी हो चुके हैं। बीजेपी के लिए यह स्थिति राजनीतिक संकट बन गई है क्योंकि मराठा और ओबीसी दोनों ही समुदाय राज्य की राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। उन्होंने ओबीसी नेताओं से संवाद शुरू किया है और भरोसा दिलाया है कि उनके अधिकारों में किसी भी तरह की कटौती नहीं होगी। फडणवीस ने कहा कि सरकार संतुलन बनाए रखते हुए सभी समाजों के साथ न्याय करेगी।

हालांकि विपक्ष ने इस पूरे मामले पर बीजेपी को घेर लिया है। कांग्रेस और एनसीपी नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार ने जल्दबाजी और राजनीतिक लाभ के लिए यह फैसला लिया, जिससे सामाजिक समरसता बिगड़ रही है। उन्होंने मांग की है कि सरकार इस पर स्पष्ट रोडमैप पेश करे।

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में यह विवाद और गहराएगा। अगर सरकार ओबीसी की नाराजगी शांत नहीं कर पाई तो इसका असर आगामी चुनावों में साफ दिखाई देगा। फिलहाल बीजेपी और फडणवीस के लिए यह स्थिति किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।

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