महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को उद्योगपति गौतम अडानी के 2019 विधानसभा चुनावों के बाद राज्य में भाजपा-एनसीपी सरकार की संभावना पर चर्चा में शामिल होने की खबरों का खंडन किया. फडणवीस का स्पष्टीकरण एनसीपी नेता अजित पवार के उस दावे के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अदाणी द्वारा दिल्ली स्थित अपने घर पर आयोजित सरकार गठन वार्ता में बीजेपी और एनसीपी के शीर्ष नेता शामिल थे. हालांकि, बाद में अजित पवार ने एक इंटरव्यू में अपने दावे से पलटते हुए कहा था कि उनसे गलती हो गई.
इस पर बात करते हुए देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जब भाजपा और एनसीपी नेताओं के बीच बैठक हुई थी, अडानी मौजूद नहीं थे. उन्होंने कहा, “देखिए, बैठक हुई थी. शरद पवार, अजित पवार, (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह और मैं वहां थे. लेकिन गौतम अडानी वहां नहीं थे.”
इससे पहले, मीडिया इंटरव्यू में अजित पवार ने आरोप लगाया था कि वह, फडणवीस, अमित शाह, शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल 2019 में दिल्ली में अदाणी के घर पर बैठक हुई, जिसमें adani मौजूद थे. इसके बाद में अजित पवार के अलग हुए चाचा शरद पवार ने भी एक इंटरव्यू में अपने भतीजे के दावे का समर्थन करते हुए आरोप लगाया था कि उद्योगपति ने अपने दिल्ली स्थित घर पर भाजपा और एनसीपी नेताओं की एक बैठक की मेजबानी की थी.
सरकार गठन में उद्योगपति की संलिप्तता के आरोपों पर विवाद सामने आने के बाद अजित पवार ने बाद में न्यूज एजेंसी को दिए एक इटंरव्यू में अपने दावे से पलटते हुए कहा था कि उन्होंने ऐसा बयान देकर गलती की है. अजित पवार ने कहा था, “मैंने कहा कि वह (अदाणी) वहां मौजूद नहीं थे. हम अदाणी के गेस्ट हाउस में थे. राज्य सरकार गठन में किसी उद्योगपति की कोई भूमिका नहीं होती. कभी-कभी हम चुनाव प्रचार और इंटरव्यू देने में इतने व्यस्त होते हैं कि गलती से मैं बयान दे देता हूं.”
जब उनसे पूछा गया कि क्या उन पर ऐसा बयान देने के लिए दबाव डाला गया था, तो अजित पवार ने कहा कि उन पर किसी का दबाव नहीं था.
बता दें कि 2019 में, फडणवीस और अजित पवार ने हाथ मिलाया और नाटकीय दृश्यों में एक अल्पकालिक सरकार में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जो केवल 80 घंटे यानी साढ़े तीन दिन तक चली. हाई-वोल्टेज ड्रामा के बाद, अजित पवार तत्कालीन अविभाजित एनसीपी में लौट आए, जो कांग्रेस और अविभाजित शिवसेना के साथ महा विकास अघाड़ी सरकार का हिस्सा बन गई. हालांकि, जून 2022 में, अब के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना विधायकों के एक समूह के विद्रोह के बाद गठबंधन टूट गया.
इसके बाद महायुति का गठन हुआ और शिंदे मुख्यमंत्री बने, जबकि फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने. इसके एक साल बाद अजित पवार ने कई एनसीपी विधायकों के साथ फिर से विद्रोह किया और सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हो गए. वह भी उपमुख्यमंत्री बने. अजित पवार के विभाजन के परिणामस्वरूप एक गुट ने उनका समर्थन किया और दूसरे ने शरद पवार का समर्थन किया.