डीडवाना-कुचामन जिला मुख्यालय को लेकर गरमाई सियासत, अधिवक्ताओं ने सरकार को दी चेतावनी

Rajasthan: डीडवाना- कुचामन जिले का स्थायी मुख्यालय कुचामन सिटी में बनाने की मांग के साथ आज कुचामन सिटी में अभिभाषक संघ के नेतृत्व में क्षेत्र के अधिवक्ता सड़कों पर उत्तर पड़े और प्रदेश सरकार से कुचामन सिटी में जिला मुख्यालय और जिला न्यायालय बनाने की मांग की.

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भारी तादाद में जमा हुए अधिवक्ताओं के साथ सामाजिक संगठन के लोगों ने न्यायालय परिसर से पुराना बस स्टेशन होते हुए उपखंड कार्यालय तक रैली निकाली. रैली में अभिभाषक संघ नावां, मकराना और परबतसर का भी सहयोग रहा, उपखंड कार्यालय पहुंचकर अधिवक्ताओं ने अपनी मांग पुरजोर तरीके से रखते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल और प्रदेश सरकार के नाम का मांग पत्र एसडीएम सुनील कुमार को सौंपा.

मांग पत्र में डीडवाना-कुचामन जिले के प्रशासनिक मुख्यालय के रूप में कुचामन की विधिसम्मत घोषणा, कुचामन में जिला न्यायालय की स्थापना, अतिरिक्त जिला कलेक्टर (एडीएम) कुचामन सिटी के क्षेत्राधिकार की बहाली एवं संबंधित पत्रावलियों की पुनः स्थापना की मांग की गई.

गौरतलब है कि, डीडवाना कुचामन जिले के गठन के साथ ही जिले के डीडवाना को अस्थायी मुख्यालय घोषित किया गया था और अभी तक जिले का स्थायी मुख्यालय सरकार ने घोषित नहीं किया है, ऐसे में कुचामन सिटी को स्थायी रूप से जिला मुख्यालय बनाने की मांग अधिवक्ताओं ने आज मांग पत्र के जरिए सरकार से की है.

जिला मुख्यालय के लिए कुचामन सबसे उपयुक्त शहर

अधिवक्ताओं का कहना है कि कुचामन सिटी भौगोलिक, प्रशासनिक, न्यायिक, सामाजिक एवं ऐतिहासिक रूप से सभी आवश्यक योग्यताओं से परिपूर्ण है, अधिवक्ताओं के मुताबिक 300+ अधिवक्ता कुचामन न्यायालय में सेवारत हैं, जिला न्यायालय के लिए कुचामन में भूमि आरक्षित है, पूर्व से न्यायालय हेतु भूमि आरक्षण एवं अधिवक्ताओं की उपलब्धता कुचामन को आदर्श न्यायिक केंद्र बनाती है, नावा, मकराना, परबतसर के नागरिकों को कुचामन में जिला न्यायालय होने से त्वरित न्याय प्राप्त होगा.

सरकार को दी चेतावनी 

कुचामन सिटी में डीडवाना –  कुचामन जिले का स्थायी मुख्यालय और जिला न्यायालय की मांग के साथ अधिवक्ताओं ने प्रदेश सरकार को आंदोलन की चेतावनी भी दे डाली. बार संघ अध्यक्ष बोदू राम चौधरी ने कहा की, अगर सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती है तो जल्द ही जन आंदोलन किया जाएगा साथ ही आने वाले सभी चुनावों में भी इसका नतीजा सत्ताधारी पार्टी को भुगतना पड़ेगा.

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