बांग्लादेशियों पर सियासत तेज, CM ममता के बयान पर राज्यपाल ने मांगा जवाब

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने हिंसा प्रभावित बांग्लादेश के लोगों को शरण देने संबंधी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी को लेकर उनसे रिपोर्ट मांगी है. राजभवन के मीडिया प्रकोष्ठ ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट कर कहा कि विदेशी मामलों से संबंधित किसी भी मसले को संभालना केंद्र का विशेषाधिकार है.

मीडिया प्रकोष्ठ ने कहा कि विदेशियों को शरण देने का मसला केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है. विदेशियों को शरण देने के संबंध में मुख्यमंत्री का सार्वजनिक रूप से बयान देना बेहद गंभीर प्रकृति का संवैधानिक उल्लंघन है.

घुसपैठ को सही ठहरा रहीं ममता: बीजेपी

बीजेपी ने सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस बयान की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह बांग्लादेश में संकट में फंसे लोगों को आश्रय देने को तैयार हैं. पार्टी ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी का यह बयान राज्य में घुसपैठ को न्यायोचित्त ठहराने वाला है.

पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा

बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता को कमजोर करने के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने ममता बनर्जी के उस बयान के लिए उन पर निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा था कि वह चाहती हैं कि बंगाल भारत के साथ अच्छे संबंध रखे. उन्होंने सवाल किया कि उनके इस बयान का क्या मतलब है? उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा है.

बांग्लादेशियों को शरण देने का फैसला

कोलकाता में एक रैली में ममता बनर्जी ने कहा था कि बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा के मद्देनजर वह पड़ोसी देश से परेशान लोगों के लिए अपने राज्य के दरवाजे खुले रखेंगी और उन्हें शरण देंगी. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ऐसे मुद्दे पूरी तरह से भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में हैं. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि यह केंद्र सरकार ही थी, जिसने 1971 के युद्ध के बाद बांग्लादेशियों को शरण देने का फैसला किया था.

ममता बनर्जी पर घुसपैठ को सही ठहराने का आरोप

उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस नेता पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए संशोधित नागरिकता कानून का कड़ा विरोध करती रही हैं लेकिन वह घुसपैठियों की मदद करना चाहती हैं. बीजेपी नेता ने ममता बनर्जी पर घुसपैठ को सही ठहराने की कोशिश करने और पश्चिम बंगाल की जनसांख्यिकी बदलने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि राज्य में तीन मुस्लिम बहुल जिले हुआ करते थे लेकिन यह संख्या बढ़कर अब नौ हो गई है.

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