इंडिया ब्लॉक के एक महत्वपूर्ण सहयोगी ने कांग्रेस की लाइन से खुद को अलग कर लिया है. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर कांग्रेस पार्टी की आपत्ति को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई के साथ बातचीत में कहा, ‘जब उसी ईवीएम से आपके 100 से अधिक सांसद चुनकर आते हैं तो आप इसे अपनी पार्टी की जीत के रूप में सेलिब्रेट करते हैं, तो आप कुछ महीनों बाद पलट कर यह नहीं कह सकते कि हमें ईवीएम से वोटिंग पसंद नहीं है, क्योंकि अब चुनाव परिणाम वैसे नहीं आ रहे जैसा हम चाहते हैं.’
उमर अब्दुल्ला की यह टिप्पणी भारतीय जनता पार्टी की लाइन से मैच करती है. बीजेपी भी कहती है कि विपक्षी दल जब जीतते हैं तो ईवीएम को ठीक मानते हैं और जब हारते हैं तो ईवीएम को दोषी ठहरा देते हैं. जब इंटरव्यूअर ने अब्दुल्ला से कहा गया कि उनकी यह टिप्पणी ऐसी मालूम पड़ रही है, जैसे भाजपा प्रवक्ता विपक्ष के आरोपों को डिफेंड कर रहा हो, तो उन्होंने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘भगवान न करे! नहीं, यह बस इतना ही है… जो सही है वह सही है.’
मैं सच को सच और गलत को गलत कहता हूं: उमर
उन्होंने कहा कि वह पार्टी लाइन फॉलो करने की बजाय सच को सच और गलत को गलत कहना पसंद करते हैं. उमर अब्दुल्ला ने सेंट्रल विस्टा जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए अपने समर्थन को अपनी स्वतंत्र सोच का उदाहरण बताया. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि दिल्ली में सेंट्रल विस्टा बहुत अच्छा प्रोजेक्ट है. मेरा मानना है कि नए संसद भवन का निर्माण कराना एक शानदार विचार था. हमें नए संसद भवन की आवश्यकता थी. पहले वाली पार्लियामेंट बिल्डिंग पुरानी हो चुकी थी और मौजूदा जरूरतों के हिसाब से फिट नहीं थी.’
उन्होंने कहा कि अगर पार्टियों को मतदान तंत्र पर भरोसा नहीं है तो उन्हें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. क्या विपक्ष और विशेष रूप से कांग्रेस का अपनी चुनावी हार के लिए ईवीएम को दोषी ठहराना गलत है? उमर अब्दुल्ला ने इस सवाल के जवाब में कहा, ‘अगर आपको ईवीएम के साथ समस्या है, तो आपको हर चुनाव में इससे समस्या होनी चाहिए.’ हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अपनी हार के बाद, कांग्रेस ने ईवीएम की भूमिका और चुनाव परिणामों पर संदेह व्यक्त किया है. कांग्रेस नेताओं ने पेपर बैलेट से मतदान कराने की वकालत की है.
अपनी हार के लिए EVM का बहाना मत बनाएं: उमर
उमर अब्दुल्ला की हाल की टिप्पणियां यह संकेत देती हैं कि उनकी नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी और कांग्रेस के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा. बता दें कि दोनों दलों ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पदाधिकारी निजी तौर पर आरोप लगाते रहे हैं कि कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान अपना काम नहीं किया और सारा भार उनकी पार्टी पर छोड़ दिया. फिर भी, एनसी ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 42 सीटें जीतीं और कांग्रेस को सिर्फ 6 सीटें मिलीं. मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने कहा कि आप चुनाव जीतते भी हैं और हारते भी हैं और दोनों ही बार ईवीएम से ही वोट पड़ते हैं. पार्टियों को अपनी हार के लिए ईवीएम का सुविधाजनक बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
उमर अब्दुल्ला ने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि एक चुनाव में मतदाता आपको चुनते हैं, अगले चुनाव में नहीं चुनते. मैं लोकसभा चुनावों में हार गया था और विधानसभा चुनाव में जीता. मेरी पार्टी को बहुमत मिला. दोनों ही नतीजों को मैंने स्वीकार किया और कभी ईवीएम को दोष नहीं दिया.