नागपुर के राजभवन में रविवार को महाराष्ट्र के 39 मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह हुआ, जो 33 सालों बाद महाराष्ट्र की दूसरी राजधानी में आयोजित हुआ. इससे पहले, 1991 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुधाकरराव नाईक के शासनकाल में मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था. नाईक ने उस समय शिवसेना के बागी नेता छगन भुजबल और राजेंद्र गोले को अपनी सरकार में शामिल किया था. साथ ही कांग्रेस के बीड विधायक जयदत्त क्षीरसागर को भी नाईक सरकार में मंत्री बनाया गया था. इस बार शपथ ग्रहण समारोह में 39 मंत्रियों का स्वागत किया गया, जिनमें देवेंद्र फडणवीस सरकार के मंत्रियों को शामिल किया गया था.
राज्यपाल सी. सुब्रह्मणियम ने इन सभी मंत्रियों को शपथ दिलाई. इस शपथ ग्रहण समारोह में एक दिलचस्प कड़ी यह रही कि छगन भुजबल, जो कभी नाईक सरकार में शामिल हुए थे, अब एक बड़े नाम के रूप में इस नई सरकार से बाहर हो गए हैं. इस बार भुजबल को मंत्रिमंडल से बाहर किया गया.
सुधाकरराव नाईक, जो 1991 से 1993 तक मुख्यमंत्री रहे, ने अपने मंत्रिमंडल के विस्तार के दौरान भुजबल और गोले जैसे बागी नेताओं को कांग्रेस के साथ मिलाकर सरकार में शामिल किया था. बाद में, तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष माधुकरराव चौधरी ने शिवसेना के बागी नेताओं के समूह को कांग्रेस में विलय करने की मंजूरी दी थी.
अंतरराष्ट्रीय राजनीति की तरह, यह भी एक दिलचस्प घटनाक्रम था कि भुजबल और गोले दोनों को 1995 के विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था. भुजबल मुंबई के मझगांव और गोले बुलढाणा सीट से हार गए थे. यह बदलाव राज्य की राजनीति में एक बड़ा मोड़ था, जो न केवल कांग्रेस के लिए बल्कि शिवसेना के लिए भी एक चुनौती बन गया था.
इस बार जब 39 नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण हुआ, तो यह महाराष्ट्र की बदलती राजनीतिक दिशा और सत्ता समीकरणों के नए दौर का प्रतीक बन गया है. 33 साल बाद हुए इस शपथ ग्रहण समारोह में राज्य की राजनीति में कई पुराने चेहरे और नए समीकरण देखने को मिले हैं.