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MP में गायों पर सियासत! दावा- हर एक गाय के लिए दे रहे 40 रुपये, क्या है इसकी सच्चाई?

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव सरकार आने के बाद गायों और गौ शालाओं कि दशा सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. सरकार ने अपने 6 माह के कार्यकाल कि उपलब्धियों को लेकर एक रिपोर्ट कार्ड भी जारी किया है. लेकिन tv9 की पड़ताल में सरकार के इस रिपोर्ट कार्ड की जब जमीनी हकीकत तलाशी गई तो सरकार की पोल खुल गई.

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सरकार की ओर से गौ शालाओं में गौ वंश के लिए बेहतर आहार के लिए प्रति गाय मिलने वाली 20 रु कि राशि बढ़ाकर 40 रु करने का फैसला लिया गया था. गौ शालाओं में भूसा प्रबंधन के लिए आधुनिक मशीनों और उपकरणों के लिए अनुदान और प्रत्येक 50 किलोमीटर पर घायल गायों के इलाज के लिए परिवहन हेतु हाइड्रोलिक कैटल लिफ्टिंग वाहन का टोल व्यवस्था करने का भी फैसला लिया गया था.

रिपोर्टर की पड़ताल में आया कुछ और सामने

शुभम गुप्ता की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में सरकार अब गौ शालाओं में प्रति गाय 20 रु कि जगह 40 रु दे रही है . भोपाल के गायत्री मंदिर स्थित गौ शाला के प्रबंधक सुभाष शर्मा ने कहा सरकार ने ज़रूर घोषणा कि है मगर अब तक तक 40 रु कि हिसाब से पैसा नहीं मिला . जबलपुर के दीपक राय ने कहा सरकार ने घोषणा तो ज़रूर की थी मगर अभी तक तो पैसे नहीं आये हैं . 20 रु के हिसाब से ही पैसे आ रहे हैं .ग्वालियर में गौ शाला चला रहे प्रबंधक का कहना है कि हो सकता है कि सरकार तीन महीने का इकठ्ठा पैसा भेजे . इसलिए अभी तक नहीं आया है .

वहीं मध्य प्रदेश गौ संरक्षण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद ने बताया कि फ़िलहाल सरकार की ओर से अनुदान 40 रु प्रति गाय के हिसाब से नहीं दिया जा रहा है . बजट पारित होने के बाद ये लागू होगा .

मंत्री का बयान से टाल-मटोल

मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विश्वास सारंग से जब हमने इस विषय पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि हो सकता है कुछ जगह कोई परेशानी हो , वह उन जगहों की जांच करवा लेंगे. वहीं 40 रु प्रति गाय को दिए जाने वाले सवाल को वो टालते हुए दिखाई दिए .

मध्य प्रदेश में गाय पर सियासत का मामला कोई नया नहीं है . इससे पहले भी कमलनाथ सरकार के समय गायों के अनुदान राशि को 4 रु से बढ़ाकर 20 रु किया गया था . कांग्रेस नेता जेपी धनोपिया का कहना है कि बीजेपी सरकार 20 साल से सिर्फ और सिर्फ दावे ही करती आयी है ये दावा भी सिर्फ कागज़ों में ही है .

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