मध्य प्रदेश में नवरात्र का पर्व शुरू होने से पहले ही गरबा आयोजनों को लेकर राजनीति गरमा गई है। भाजपा नेताओं की ओर से गैर-हिंदुओं की एंट्री पर शर्तें लगाने की बात सामने आने के बाद कांग्रेस ने इसे धार्मिक मुद्दों को भड़काने और अधिकारियों पर दबाव बनाने की साजिश करार दिया है।
भाजपा के कुछ नेताओं ने हाल ही में बयान दिया कि गैर-हिंदू अगर गरबा में शामिल होना चाहते हैं तो उन्हें पहले तिलक लगाना होगा, गंगाजल पीना होगा और देवी दुर्गा की पूजा करनी होगी। साथ ही पहचान पत्र दिखाने की भी शर्त रखी गई। भाजपा नेताओं का कहना है कि गरबा केवल नृत्य नहीं, बल्कि देवी दुर्गा की आराधना से जुड़ा धार्मिक आयोजन है, इसलिए इसमें वही लोग शामिल हों जिनका विश्वास इस पूजा में हो।
इस पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। पार्टी नेताओं का कहना है कि भाजपा समाज को बांटने और वोटों की राजनीति के लिए धार्मिक आयोजनों का इस्तेमाल कर रही है। कांग्रेस का आरोप है कि अधिकारी भी भाजपा नेताओं को खुश करने के लिए इस तरह के नियम लागू करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि यह संविधान और नागरिक स्वतंत्रता के खिलाफ है।
वहीं, विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों ने भी ऐसे दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें कहा गया है कि गरबा आयोजन स्थल पर प्रवेश करने वालों को हिंदू परंपरा के मुताबिक आचरण करना होगा। विपक्ष का कहना है कि इससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है और धार्मिक तनाव पैदा हो सकता है।
भाजपा और उसके समर्थकों का तर्क है कि यह नियम किसी को बाहर करने के लिए नहीं बल्कि परंपराओं की मर्यादा बनाए रखने के लिए हैं। उनका कहना है कि गरबा धार्मिक आस्था से जुड़ा आयोजन है और इसमें शामिल होने वालों को परंपरा का सम्मान करना चाहिए।
कुल मिलाकर, गरबा और नवरात्र के आयोजनों को लेकर मध्य प्रदेश की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है। जहां भाजपा इसे धार्मिक परंपरा की रक्षा बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे लोकतांत्रिक अधिकारों और सामाजिक समरसता पर हमला मान रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राज्य की राजनीति में और तूल पकड़ सकता है।