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‘हमें कहीं भी जाने का अधिकार, पुलिस का पहरा क्यों…’, संभल नहीं जाने देने पर बोले माता प्रसाद

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव के निर्देश पर सपा का 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आज संभल का दौरा करने वाला है. सपा का यह प्रतिनिधिमंडल 24 नवंबर को अदालत के आदेश के बाद जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा के संबंध में जानकारी जुटाने संभल जाने का प्रयास कर रहा है. संभल में एक साथ पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने, किसी भी जुलूस या प्रदर्शन पर रोक है.

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हालांकि, प्रतिनिधिमंडल में शामिल सपा नेताओं को प्रशासन द्वारा उनके घरों और गृह जनपदों में ही रोकने का प्रयास किया जा रहा. उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे के लखनऊ स्थित आवास के बाहर पुलिस फोर्स तैनात है. संभल के जिलाधिकारी ने माता प्रसाद पांडे को जिले में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 के तहत निषेधआज्ञा लागू होने का संदेश भेजा था और उनसे यहां नहीं आने का आग्रह किया था.

माता प्रसाद पांडे के घोषित कार्यक्रम के अनुसार पहले वह बरेली जाएंगे. बरेली में सपा नेताओं के साथ बैठक के बाद उनका संभल जाने का प्लान है. वहीं, पुलिस फोर्स माता प्रसाद पांडे को संभल नहीं जाने देना चाहती. इस पर वरिष्ठ सपा नेता ने कहा, ‘कहीं भी जाने का हमारा अधिकार है. पुलिस का पहरा क्यों है. मीडिया संभल जा सकती है, हम क्यों नहीं जा सकते. आगे की रणनीती जल्द बनायी जाएगी.’ मुरादाबाद की सपा सांसद रुचि वोरा ने कहा, ‘जब तक ये अधिकारी रहेंगे, जिन्होंने लोगों की हत्या की तब तक पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाएगा. जब इन अधिकारियों को सजा होगी, इन्हें सस्पेंड किया जाएगा तब ही लोगों को न्याय मिलेगा.’

सपा के प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं ये 15 नेता

सपा के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव, सपा प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल, मुजफ्फरनगर के सांसद हरेंद्र मलिक, मुरादाबाद की सांसद रुचि वीरा, कैराना सांसद इकरा हसन, संभल सांसद जियाउर्रहमान बर्क और आंवला सांसद नीरज मौर्य, विधायक कमाल अख्तर, रविदास मेहरोत्रा, नवाब इकबाल महमूद और पिंकी सिंह यादव, सपा के संभल जिलाध्यक्ष असगर अली अंसारी, मुरादाबाद जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह यादव और बरेली जिलाध्यक्ष शिवचरण कश्यप शामिल हैं.

शाही जामा मस्जिद सर्वेक्षण को लेकर 24 नवंबर को पथराव की घटना के बाद यूपी के संभल में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. चप्पे चप्पे पर पुलिस, पीएसी और आरएफएफ के जवानों की तैनात की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कल संभल ट्रायल कोर्ट को शाही जामा मस्जिद के खिलाफ मुकदमे में आगे नहीं बढ़ने का निर्देश दिया था और मस्जिद कमेटी को अपनी याचिका के साथ इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा था. मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सर्वे के आदेश को रद्द करने की मांग की थी.

सपा नेताओं की योजना पीड़ितों से मुलाकात कर एक रिपोर्ट तैयार करने और उसे अपने अध्यक्ष अखिलेश यादव को सौंपने की है. वहीं सपा नेताओं के संभल दौरे पर मुरादाबाद के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने कहा कि जिले में निषेधाज्ञा लागू है. यहां अभी कोई नहीं जा सकता. संभल में शांति स्थापित कर ली गई है और इस तरह के राजनीतिक दौरे फिर से अस्थिरता का कारण बन सकते हैं. संभल हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग आज मुरादाबाद पहुंचेगा और कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह से पूरी घटना की जानकारी लेगा. कल न्यायिक आयोग संभल जाएगा और जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के साथ हिंसाग्रस्त इलाके का दौरा करेगा.

संभल हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित

संभल में 24 नवंबर की हिंसा ने देश की राजनीति को गर्मा दिया है. एक तरफ उग्र भीड़ पर हिंसा, पथराव और आगजनी करने के आरोप हैं, तो दूसरी तरफ पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. इस हिंसा में गोली लगने से चार लोगों की मौत हुई थी और 20 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे. इस हिंसा के सही कारणों का पता लगाने और इसमें संलिप्त लोगों की पहचान करने के लिए यूपी सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन किया है.

दो महीने में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगा आयोग

इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार अरोड़ा को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं सेवानिवृत्त आईएएस अमित मोहन प्रसाद और अरविंद कुमार जैन आयोग के अन्य दो सदस्य होंगे. आयोग जांच करेगा कि यह घटना कोई सुनियोजित साजिश थी या अचानक घटित हुई थी. यदि साजिश थी तो इसके पीछे किन लोगों की भूमिका थी. साथ ही, घटना के बाद पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा कानून व्यवस्था बरकरार रखने का लिए उठाए गए कदम सही थे कि नहीं. न्यायिक आयोग अपनी जांच रिपोर्ट दो महीने के भीतर शासन को सौंपेगा.

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