सुबह ऑफिस जाने के लिए तैयार होने के लिए या फिर किसी स्पेशल मौके पर जैसे शादी या किसी पार्टी के लिए तैयार होने के लिए आप अपने हेयर स्टाइल पर खास ध्यान देते हैं. कई लोग हेयर स्टाइल के लिए बालों को सुखाना, सीधा करना या घुंघराला बनाने के लिए कई सारे इलेक्ट्रॉनिक टूल्स का इस्तेमाल करते हैं. आम तौर पर माना जाता है कि इन टूल्स यानी (Blow-dryer, straightener or curler) से निकालने वाली हीट से बालों की हेल्थ खराब होती है, आपके बाल जल्द ही खराब हो सकते हैं. लेकिन, हाल ही में एक स्टडी सामने आई है जो बताती है कि इस तरह के टूल्स इस्तेमाल करने से सिर्फ हेयर हेल्थ ही नहीं, बल्कि आपकी खुद की हेल्थ भी खराब हो रही है.
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस तरह के टूल्स का इस्तेमाल करने से आपकी सेहत पर सीधा असर पड़ रहा है. ऐसा करने से आपके फेफड़ों में उतना ही प्रदूषण जा सकता है, जितना किसी व्यस्त हाईवे पर खड़े रहने से होता है. सोचिए जितना प्रदूषण एक बिजी हाईवे पर आपके अंदर जा सकता है, उतना ही मात्रा में प्रदूषण आपके अंदर जा सकता है जब आप कमरे में अपने बालों पर इस तरह के टूल्स का इस्तेमाल कर रहे होते हैं.
हेयर स्टाइलिंग से पैदा हो रहा प्रदूषण
अमेरिका के इंडियाना के पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नुसरत जंग और पीएचडी स्टूडेंट जियांगुई लियू की लीडरशिप में एक रिसर्च टीम ने पाया कि 10-20 मिनट की हीट-बेस्ड हेयर रूटीन से हवा में 10 अरब से ज्यादा सूक्ष्म कण (Tiny Particles) निकल सकते हैं. यह पार्टिकल्स सांस के जरिए फेफड़ों में जा सकते हैं.
ये पार्टिकल्स स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं, जैसे सांस लेने में दिक्कत, फेफड़ों में सूजन और यहां तक कि याददाश्त-दिमागी क्षमता में कमी तक आ सकती है. प्रोफेसर जंग ने कहा, यह वाकई काफी चिंताजनक है. साधारण दुकानों से खरीदे गए हेयर-केयर प्रोडक्ट के इस्तेमाल से सांसों के जरिए अंदर जाने वाले नैनोपार्टिकल की संख्या हमारी उम्मीद से कहीं ज्यादा थी.
कैसे की गई रिसर्च?
प्रोफेसर जंग ने बताया, रिसर्च के लिए एक सामान्य 10 से 15 मिनट की हेयर-केयर रूटीन को देखा गया, इसमें एक या ज्यादा हेयर-केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया गया, जिन्हें गर्म स्टाइलिंग टूल्स जैसे फ्लैट आयरन और कर्लिंग वैंड्स के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया गया.
एक्सपेरिमेंट में स्टाइलिंग रूटीन अपनाया गया, जिसमें पांच अलग-अलग हेयर प्रोडक्ट (हेयर क्रीम, हेयर सीरम, हेयर लोशन और हेयर स्प्रे) और तीन तरह के टूल्स का इस्तेमाल किया गया. यह इस्तेमाल ठीक वैसे ही किया गया जैसे आम लोग रोजमर्रा की ज़िंदगी में करते हैं.
10 अरब तक नैनोपार्टिकल्स हो सकते हैं रिलीज
प्रोफेसर जंग ने बताया कि जब बालों की देखभाल की ये प्रक्रिया की जाती है, तो कुछ उड़ने वाले और आधे उड़ने वाले इंग्रेडिएंट (जिन्हें साइक्लिक सिलॉक्सेन्स कहा जाता है) हवा में निकल जाते हैं. जब ये गर्म स्टाइलिंग मशीनों की सतह से टकराते हैं (जो 300 डिग्री फ़ारेनहाइट से भी ज़्यादा गर्म हो सकती है), तो ये भाप बनकर बहुत छोटे-छोटे नेनोपार्टिकल्स में बदल जाते हैं. जंग ने बताया, हमने मापा कि जब लोग बालों की स्टाइलिंग करते हैं तो हवा में 10 अरब तक नैनोपार्टिकल्स पहुंच सकते हैं. यह उतना ही है जितना कोई हायवे पर प्रदूषण झेलता है.
साथ ही उन्होंने कहा, ये संख्या हवा में मौजूद कणों की है, न कि यह उसकी संख्या है कि कितने कण आपके अंदर गए. आपके अंदर इनमें से कितने कण जाएंगे यह इस पर निर्भर करता है कि आप कितनी तेजी से सांस लेते हैं. टूल के कितने पास खड़े हैं, कमरा हवादार है या नहीं, स्टाइलिंग टूल कितना गरम है, कौन सा प्रोडक्ट है और कितनी देर तक इस्तेमाल किया गया. प्रोफेसर ने आगे कहा, लेकिन क्योंकि ज्यादातर लोग चेहरे के पास और बाथरूम जैसे कम हवादार स्थानों में स्टाइलिंग करते हैं, इसलिए इन कणों का सांस के जरिए शरीर में जाने का खतरा बहुत बढ़ जाता है.
रिसर्च में क्या एडवाइस दी गई?
प्रोफेसर जंग ने कहा, जब हमने पहली बार हीट के दौरान हेयर प्रोडक्ट से निकलने वाले पार्टिकल को देखा, तो नतीजे पहले से ही चिंता बढ़ाने वाले थे. लेकिन जब और गहराई से देखा तो पता चला कि ये पार्टिकल अचानक बहुत बड़ी मात्रा में नैनोकण बना रहे थे.
जंग और लियू के अनुसार सबसे अच्छा तरीका है कि हेयर प्रोडक्ट्स को हीटिंग टूल्स के साथ इस्तेमाल न किया जाए. अगर ऐसा संभव न हो तो कमरे में हवा का इंतजाम जरूर करें. हवादार जगह पर इन टूल्स का इस्तेमाल करें. लियू ने कहा, अगर आपको हेयर प्रोडक्ट इस्तेमाल करने ही पड़ें, तो कम इस्तेमाल करें और ध्यान रखें कि जगह हवादार हो.