इटावा/जसवंतनगर: जसवंतनगर का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC), जो कि व्यस्त हाईवे पर स्थित होने के कारण प्रतिदिन 300 से अधिक मरीजों का बोझ उठाता है. डॉक्टरों और मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी से जूझ रहा है. चिकित्सकों के अभाव के चलते मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है, जिससे उन्हें या तो जिला अस्पताल की ओर रुख करना पड़ रहा है या फिर सैफई पीजीआई जैसे बड़े संस्थानों में रेफर किया जा रहा है.
CHC में कई महत्वपूर्ण विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं. इनमें सबसे प्रमुख रेडियोलॉजिस्ट, बाल रोग विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ और नेत्र रोग विशेषज्ञ शामिल हैं. हाईवे पर लगातार होने वाली दुर्घटनाओं को देखते हुए एक हड्डी रोग विशेषज्ञ की अनुपस्थिति बेहद गंभीर समस्या है. दुर्घटना के शिकार मरीजों को तत्काल विशेषज्ञ सहायता की आवश्यकता होती है, जो यहां उपलब्ध नहीं है. जिसके चलते उन्हें आपात स्थिति में भी दूर के अस्पतालों में भेजा जाता है. सीएचसी अधीक्षक डॉ. वीरेंद्र सिंह ने इस गंभीर स्थिति से उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है, लेकिन समस्या का समाधान अभी दूर है.
डॉक्टरों की कमी के अलावा, केंद्र में अन्य आवश्यक सुविधाओं का भी अभाव है. डॉ. सिंह ने बताया कि अल्ट्रासाउंड मशीन की सख्त ज़रूरत है, जिसके बिना कई महत्वपूर्ण जांचें संभव नहीं हो पातीं. हालांकि, राहत की बात यह है कि केंद्र में एनेस्थेटिस्ट, स्त्री रोग विशेषज्ञ और दंत चिकित्सक जैसे कुछ विशेषज्ञ अपनी सेवाएँ दे रहे हैं, लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है.बिजली व्यवस्था भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. केंद्र में लगा कम क्षमता वाला जेनरेटर केवल ऑपरेशन जैसे अति-आवश्यक कार्यों के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है.
बिजली की लगातार कटौती के कारण डिजिटल एक्स-रे सेवाएं भी अक्सर बाधित रहती हैं, जिससे मरीजों को निदान में देरी का सामना करना पड़ता है. दो साल पहले ‘कायाकल्प योजना’ में जिले में पहले स्थान पर रहने वाला यह केंद्र अब बदहाली का शिकार है. सफाई व्यवस्था भी चरमराई हुई है, क्योंकि वर्तमान में यहां केवल दो सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं, जो पूरे परिसर की साफ-सफाई के लिए पर्याप्त नहीं हैं. डॉक्टरों के कक्षों और ओपीडी में खराब पंखों के कारण मरीजों को भीषण गर्मी में भी परेशानी झेलनी पड़ रही है.
यह स्थिति दर्शाती है कि जसवंतनगर का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी क्षमता से कहीं ज़्यादा बोझ उठा रहा है, जबकि इसे चलाने के लिए आवश्यक मानवीय और भौतिक संसाधनों की घोर कमी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए ताकि मरीजों को बेहतर और समय पर इलाज मिल सके.