नर्मदापुरम अस्पताल में बिजली गुल, डिलीवरी रोकी:उमस में नवजातों-प्रसूताओं की तबीयत बिगड़ी; सीएमएचओ बोले- मेरे घर भी बिजली नहीं

नर्मदापुरम जिला अस्पताल में शनिवार-रविवार दरमियानी रात करीब साढ़े 4 घंटे बिजली गुल रही। दो बार बिजली जाने से प्रसूता वार्ड, भर्ती वार्ड, वेटिंग रूम और बच्चा वार्ड अंधेरा रहा। गर्मी और उमस के कारण नवजात और महिलाएं बिलखती रहीं, परिजन टॉर्च और हाथ के पंखे से काम चलाते रहे।

पहली बार रात 8:50 बजे से 10:20 बजे तक अस्पताल के आधे हिस्से और डॉक्टर्स कॉलोनी की बिजली गुल रही। इसी दौरान एक गर्भवती की डिलीवरी रोकनी पड़ी। दूसरी बार रात 2:30 से सुबह 5 बजे तक फिर बिजली चली गई, जिससे हालात और बिगड़ गए। उमस के कारण कई महिलाओं की तबीयत बिगड़ी गई। वे उल्टियां करने लगीं।

प्रसूता महिलाओं के परिजन मोबाइल की टॉर्च से उजाला करते दिखे। वे हाथ से कपड़ा हिलाकर गर्मी में नवजातों को हवा कर रहे थे। रसीदपुर निवासी पार्वती बाई पाल ने बताया कि उनकी बहू की छह दिन पहले डिलीवरी हुई थी, बच्चा गर्मी से रोता रहा, पूरे वार्ड में घुटन थी।

गेट में ताला, परिजन नहीं निकल सके बाहर जब दूसरी बार रात 2:30 बजे लाइट गई, तो स्टाफ ने प्रसूता वार्ड के रास्ते में गेट बंद कर ताला लगा दिया। इस वजह से महिलाएं और उनके साथ आई अटेंडर बाहर नहीं निकल पाए। गर्मी से परेशान महिलाएं चिल्लाती रहीं लेकिन किसी ने नहीं सुना। परिजन गेट खुलवाने की गुहार लगाते रहे ताकि वे बच्चों को खुली हवा में ले जा सकें।

जनरेटर और इनवर्टर थे, लेकिन चालू नहीं किए गए जिला अस्पताल में इमरजेंसी के लिए जनरेटर और इनवर्टर की व्यवस्था है, लेकिन रात को बिजली जाने पर ये बंद पड़े थे। पूरे अस्पताल में अंधेरा छाया रहा। लोगों का आरोप है कि ये व्यवस्था सिर्फ कागजों में है, हकीकत में कोई उपयोग नहीं होता।

स्थाई इलेक्ट्रीशियन की नियुक्ति नहीं अस्पताल ने HT कनेक्शन ले रखा है और यहां पावर स्टेशन भी अलग है, लेकिन लंबे समय से कोई स्थायी इलेक्ट्रीशियन तैनात नहीं है। दो इलेक्ट्रीशियन के रिटायर होने के बाद से जरूरी मरम्मत कार्य के लिए प्राइवेट लोगों पर निर्भरता है। शनिवार रात भी बिजली कंपनी के स्टाफ को बुलाकर लाइन चालू कराई गई।

CMHO ने कहा- मेरे बंगले में भी लाइट नहीं बिजली गुल होने के दौरान सिविल सर्जन डॉ. सुनीता कामले को दो बार कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। सीएमएचओ डॉ. नरसिंह गहलोत से संपर्क करने पर उन्होंने जवाब दिया, ‘मेरे खुद के बंगले और कॉलोनी में भी लाइट नहीं है।’ जानकारी मिलने के बाद भी वे अस्पताल नहीं पहुंचे।

सीहोर जिले से भी आते हैं मरीज नर्मदापुरम जिला अस्पताल न केवल जिले का, बल्कि पूरे संभाग का मुख्य सरकारी अस्पताल है। यहां सीहोर जिले के बुधनी, नसरुल्लागंज और रहती जैसे क्षेत्रों से भी प्रसव के लिए महिलाएं आती हैं, लेकिन व्यवस्थाएं बदहाल हैं।

 

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