कुचामन में सत्ता संग्राम: सभापति – उप सभापति निलंबन पर भाजपा–कांग्रेस आमने-सामने शुरू हुआ सियासी घमासान

डीडवाना-कुचामन: जिले के कुचामन नगर परिषद के सभापति आसिफ खान और उपसभापति हेमराज चावला के निलंबन ने स्थानीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है. जिससे भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हो गए हैं. एक ओर भाजपा इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई बता रही है, तो वहीं कांग्रेस इसे लोकतंत्र और दलित प्रतिनिधित्व पर हमला करार दे रही है.

भाजपा का आरोप: नगर परिषद बना भ्रष्टाचार का अड्डा

भाजपा मंडल अध्यक्ष बाबूलाल मारवाड़ा ने कहा कि राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और नावां विधायक व राज्य मंत्री विजय सिंह चौधरी भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि पिछली सरकार ने “हाइब्रिड पद्धति” लागू कर संवैधानिक प्रक्रिया को हाईजैक कर लिया था, जिससे चुने हुए जनप्रतिनिधियों के अधिकार छीन लिए गए.

मारवाड़ा के अनुसार, कुचामन नगर परिषद पिछले पांच वर्षों में भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई थी, जहां जमीनों की अनियमित खरीद-फरोख्त, अतिक्रमण, सफाई व्यवस्था और विकास कार्यों में गंभीर लापरवाही हुई. उन्होंने कहा कि समय पर बोर्ड बैठकों का आयोजन न होना, एजेंडा में मनमानी और केवल घोषणाओं तक सीमित रहना इस कार्यकाल की पहचान रही. भाजपा नेता ने यह भी घोषणा की कि राज्य सरकार नगर परिषद में हुए सभी निर्माण कार्यों, पट्टों और कालोनियों के नियमन की जांच कराएगी.

कांग्रेस का पलटवार: लोकतांत्रिक हत्या और दलित विरोधी रवैया

वहीं, पूर्व विधायक और उपमुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी ने निलंबन को “जनप्रतिनिधियों की राजनीतिक हत्या” करार दिया. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार और स्थानीय विधायक की मिलीभगत से यह साजिश रची गई है.

चौधरी ने आरोप लगाया कि भाजपा की नीतियों में दलित विरोधी मानसिकता झलकती है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि नावां नगर पालिका की दलित महिला चेयरमैन को स्वतंत्रता दिवस समारोह से दूर रखना और अब कुचामन नगर परिषद के दलित उपसभापति का निलंबन इसी मानसिकता की पुष्टि करता है.

कांग्रेस नगर अध्यक्ष सुतेंद्र सारस्वत का बयान: पहली बार हुआ ऐसा कुटरचित कृत्य

कांग्रेस नगर अध्यक्ष सुतेंद्र सारस्वत ने कहा कि यह कदम भाजपा सरकार और विधायक की दलित विरोधी मानसिकता को सामने लाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का बोर्ड बनने के बाद से ही भाजपा इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और अब निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को निलंबित कर जनता की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है.

सारस्वत ने कहा कि आजादी के बाद कुचामन के इतिहास में यह पहला “कुटरचित कृत्य” है, जो पूरी तरह जनविरोधी है. उन्होंने दावा किया कि भाजपा की सरकार स्वतंत्रता दिवस पर नावां नगर पालिका की चेयरमैन को कार्यक्रमों से दूर रख चुकी है और अब दलित उपसभापति हेमराज चावला को बगैर ठोस कारण निलंबित कर दिया गया.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार आई है, तभी से नगर परिषद को आर्थिक रूप से पंगु बना दिया गया है. पिछले 15 महीनों से पार्षदों के भत्ते नहीं मिले हैं, बिजली विभाग का करीब 3 करोड़ रुपए बकाया है और ठेकेदारों का भुगतान भी अटका हुआ है. सारस्वत ने कहा कि यह निलंबन जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है, लेकिन आने वाले चुनाव में जनता भाजपा को करारा जवाब देगी.

सियासी टकराव गहराया

सभापति व उपसभापति के निलंबन के बाद कुचामन की राजनीति गरमा गई है. भाजपा जहां इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे लोकतांत्रिक परंपराओं की हत्या और दलित समाज के साथ अन्याय बताकर मैदान में उतर आई है. आने वाले दिनों में यह मुद्दा नगर की राजनीति को और अधिक गर्मा सकता है और यह मुद्दा न केवल कुचामन, बल्कि प्रदेश की राजनीति में भी बड़ा सवाल बन सकता है.

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