प्रधानमंत्री आवास योजना ने तोड़ा दशकों पुराना भ्रम, दमोह के गांव में खुशी की लहर

दमोह : जिले के एक गांव की कहानी सुनकर आप चौंक जाएंगे. यहाँ दशकों तक यह अंधविश्वास था कि अगर कोई पक्का घर बनाएगा तो उसके घर में सांप आ जाएंगे और मौत हो जाएगी.लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना ने न सिर्फ इस धारणा को तोड़ा, बल्कि लोगों की ज़िंदगी भी बदल दी.

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दमोह जिले के करैया राख गांव में वर्षों से यह मान्यता थी कि पक्का घर बनाने से अनहोनी होती है. यही कारण था कि पूरा गांव कच्चे मकानों में जीवन बिताने को मजबूर था. बुजुर्ग बताते हैं कि कई बार जब किसी ने पक्का घर बनाने की कोशिश की, तो ग्रामीणों ने ही उसे रोक दिया. धीरे-धीरे यह अंधविश्वास परंपरा बन गई और गांव में पक्का घर सोच से भी परे हो गया.

लेकिन समय बदला और प्रधानमंत्री आवास योजना आई. प्रशासन और पंचायत पदाधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाया कि यह सिर्फ भ्रम है उन्होंने उदाहरण देकर दिखाया कि आसपास के गांवों में पक्के घर बने और वहां सब खुशहाल हैं.

“91 आवास स्वीकृत – 76 पूर्ण, 15 निर्माणाधीन”
“अंधविश्वास टूटा, जीवनस्तर में बदलाव”

इस वित्तीय वर्ष में करैया राख गांव को योजना के तहत 91 आवास स्वीकृत हुए.इनमें से 76 मकान पूरी तरह बनकर तैयार हैं और हितग्राही गृह प्रवेश कर चुके हैं.जबकि 15 आवास निर्माणाधीन हैं.

अब गांव में अंधविश्वास की जगह विश्वास ने ले ली है। ग्रामीण खुद कह रहे हैं कि पक्के घर मिलने के बाद वे पहले से ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

ग्राम पंचायत के अन्य गांवों में प्रगति:

झागरी: 47 में से 44 आवास पूर्ण, 3 निर्माणाधीन

रैपुर: 76 में से 67 आवास पूर्ण, 9 निर्माणाधीन

करैया राख: 91 में से 76 आवास पूर्ण, 15 निर्माणाधीन

प्रधानमंत्री आवास योजना ने न सिर्फ घर बनाए, बल्कि सोच भी बदली। दशकों से अंधविश्वास की जंजीरों में बंधे ग्रामीण अब सुरक्षित पक्के मकानों में रह रहे हैं.

दमोह के करैया राख गांव की यह कहानी बताती है कि योजनाएँ तभी सफल होती हैं, जब वे लोगों की सोच में सकारात्मक बदलाव लाती हैं. सचमुच, यह बदलाव सिर्फ ईंट-पत्थरों का नहीं, बल्कि विश्वास और आत्मविश्वास का है.

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