सूरजपुर: वन विभाग और शासन-प्रशासन के लाख दावों के बावजूद हाथी-मानव द्वंद थमने का नाम नहीं ले रहा है.आए दिन ग्रामीणों की जान और संपत्ति हाथियों के आतंक की भेंट चढ़ रही है.प्रतापपुर क्षेत्र के बोंगा गांव में बीती रात फिर एक बार हाथी का कहर टूटा.
जानकारी के मुताबिक, रात करीब 1 बजे सरईडांड़ निवासी नाबालिक पिता लालसाय के घर को एक जंगली हाथी ने तोड़ डाला.ग्रामीण किसी तरह साहस जुटाकर हाथी को भगाने की कोशिश कर रहे थे, तभी हाथी बड़वार गांव के रहने वाले पूर्व चौकीदार बलदेव पिता रामलाल गोंड़ (उम्र 40 वर्ष) पर टूट पड़ा और उनकी दर्दनाक मौत हो गई. यह पूरा मामला घुई रेंज का है, जहां पिछले एक सप्ताह से हाथियों का आतंक लगातार बना हुआ है.
वन विभाग तमाशबीन
ग्रामीणों का कहना है कि वे कई बार वन विभाग को सूचना दे चुके हैं, लेकिन विभाग केवल कागजी कार्यवाही कर खानापूर्ति में जुटा रहता है.हाथियों की मूवमेंट पर न तो कोई ठोस निगरानी की जा रही है और न ही ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम.नतीजा यह है कि लोग अपने ही घरों में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
फसलें और घर हो रहे बर्बाद
प्रतापपुर और आसपास के ग्रामीण इलाकों में हाथियों का झुंड आए दिन फसलों को रौंद देता है और कच्चे घरों को तोड़ डालता है.इससे ग्रामीणों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। वहीं हाथियों की भी लगातार मौत की घटनाएं सामने आ रही हैं, जो वन विभाग की संवेदनहीनता और लापरवाही को उजागर करती हैं.
ग्रामीणों में दहशत और आक्रोश
लगातार हो रही घटनाओं से ग्रामीण भय और दहशत में जी रहे हैं। उनका कहना है कि शासन-प्रशासन केवल बैठकों और घोषणाओं तक सीमित है.वास्तविकता यह है कि हाथी-मानव द्वंद से न तो इंसानों की जान बच रही है और न ही हाथियों की.
ग्रामीणों ने मांग की है कि तत्काल प्रभाव से हाथियों की मूवमेंट पर नजर रखने, प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने और गांवों में सुरक्षा इंतजाम करने की जरूरत है.यदि प्रशासन ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो हालात और भी भयावह हो सकते हैं.