लखीमपुर खीरी : गर्भवती महिलाओं को पोषण मिले, इसको लेकर सरकार द्वारा गर्भावस्था से लेकर प्रसव के बाद तक पौष्टिक खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं. प्रसव काल के दौरान जिला महिला अस्पताल में भर्ती प्रसूताओं को नाश्ता व खाना सहित पौष्टिक चीजें दिए जाने का प्रावधान है, लेकिन यहां प्रसूताओं के खाने में कटौती की जा रही है.
शहर के मोहल्ला सब्जी मंडी निवासी साधना शुक्ला ने बताया कि कई दिनों से जिला महिला अस्पताल में भर्ती हैं. यहां दलिया, दाल-सब्जी, रोटी व चावल तो मिला, लेकिन ब्रेड, मक्खन, सलाद कभी नहीं मिली. वहीं नौरंगाबाद निवासी मंजू ने बताया कि कल दलिया नहीं मिली थी. फल किसी दिन नहीं दिया गया। सिर्फ दाल, चावल, रोटी दिया गया. इसी मोहल्ले की रंजना ने बताया कि सुबह दलिया मिली थी. दूध, फल, सलाद तो किसी दिन नहीं मिला.
बिलहरिया गांव से आई जूली ने बताया कि वह पिछले चार-पांच दिनों से भर्ती हैं. नाश्ते में दलिया, खाने में दाल, चावल, सब्जी और मूंग की दाल मिली है. मोहल्ला काशी नगर निवासी पूजा ने भी बताया कि वह पिछले छह दिनों से भर्ती हैं. नाश्ते में दलिया ही मिली, दूध कभी-कभार ही मिला है. सलाद, दही, फल तो कभी देखने को भी नहीं मिला है.
नाश्ते और खाने में ये चीजें होती हैं शामिल
गर्भवती महिलाओं के लिए शासन की तरफ से नाश्ते में एक गिलास दूध, (अंडा/ पोहा/ दलिया) इसमें से कोई एक, चार स्लाइस ब्रेड, 10 ग्राम मक्खन शामिल है, लेकिन सुबह सिर्फ दलिया दी जाती है. दूध कभी-कभी मिल रहा है, लेकिन मक्खन नहीं। दोपहर में चार रोटी, चावल, दाल, मौसमी सब्जी, सलाद या दही होना चाहिए, लेकिन सलाद और दही थाली से गायब है. रात को चार रोटी, चावल, सब्जी, मौसमी फल, एक गिलास दूध की व्यवस्था है, लेकिन रात में चावल, दाल, सब्जी व रोटी ही दी जा रही है.
अंडा और फल देने में कई दिक्कतें
डॉक्टर ज्योति महरोत्रा का कहना है कि सुबह नाश्ते में अंडा, दूध और दलिया है. अंडा कई मरीज मना कर देते हैं, इसलिए उन्हें दलिया दी जाती है. कभी-कभी ब्रेड भी दी जाती है. फल ठंडा होता है और मरीजों को खांसी आने लगती है। इस वजह से उन्हें फल नहीं दिया जा रहा है.
बिना कंबल के गुजर रहीं रातें
वार्ड में कई मरीजों के पास कंबल नहीं था. बदलते मौसम के कारण जच्चा-बच्चा के बीमार होने के खतरा अधिक बना रहता है. बावजूद इसके अस्पताल प्रशासन से उन्हें कंबल नहीं दिया जा रहा है। शनिवार को कई मरीज अपना कंबल ओढे़ मिले. कुसुमी गांव निवासी रूबी देवी ने बताया कि उन्हें ओढ़ने के लिए कंबल दिया ही नहीं गया.
मरीजों पर अपने साथ कंबल ले जाने का आरोप
महिला अस्पताल सीएमएस ज्योति मेहरोत्रा का कहना है कि कई मरीज अस्पताल की तरफ से दिया जाने वाला कंबल अपने साथ लेकर चले जाते हैं. इसलिए उनका आधार कार्ड लेकर कंबल दिया जाता है। सामान्य प्रसव वाले जल्द ही घर चले जाते हैं. इसलिए वह लोग कंबल नहीं लेते हैं.