“गर्भवती महिलाएं, मासूम बच्चे और लटकते शव… गडरा गांव में इंसाफ की चीखें

गडरा गांव में पुलिसिया कहर से टूटी ज़िंदगियां: 150 लोग घर छोड़ने को मजबूर, गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर भी जुल्म का आरोप, न्याय न मिलने पर भोपाल में उग्र प्रदर्शन की चेतावनी

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बालाघाट : पूर्व सांसद कंकर मुंजारे शनिवार को मऊगंज जिले के गडरा गांव पहुंचे, जहां ग्रामीणों ने उन्हें पुलिस अत्याचार की दर्दनाक कहानी सुनाई. ग्रामीणों ने बताया कि 15 मार्च को हुई हिंसक घटना के बाद से पुलिस ने पूरे गांव को आतंकित कर रखा है. आरोप है कि पुलिस ने महिलाओं, बच्चों और गर्भवती महिलाओं तक को नहीं छोड़ा.

डर और दहशत का आलम यह है कि करीब 35 परिवारों के 150 से अधिक लोग गांव छोड़कर जा चुके हैं और एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद कोई भी वापस नहीं लौटा.

 

गांव के लोगों ने बताया कि 11-12 साल के मासूम बच्चों को जेल में बंद कर दिया गया और घरों में घुसकर पुलिस ने बेरहमी से मारपीट की. ग्रामीणों का कहना है कि यह सब प्रशासन की नाकामी का परिणाम है. कंकर मुंजारे ने पीड़ितों को आश्वासन देते हुए कहा कि यदि इस मामले की न्यायिक जांच नहीं होती है, तो वे भोपाल में बड़ा प्रदर्शन करेंगे.

 

गौरतलब है कि 15 मार्च को गांव में एक युवक सनी द्विवेदी की हत्या और एएसआई रामचरण गौतम की शहादत के बाद हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें 15 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे. इसके बाद से गांव में धारा 144 लागू है और पुलिस कैंप तैनात है.

 

4 अप्रैल को गांव के एक घर में औसेरी साकेत, उसकी 11 वर्षीय बेटी मीनाक्षी और 8 वर्षीय बेटे अमन के शव फंदे पर लटके मिले. परिजनों ने पुलिस पर मारपीट और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कहा कि ये आत्महत्या नहीं, बल्कि प्रशासनिक दबाव का नतीजा है.

अब यह मामला और भी संगीन होता जा रहा है, जहां न्याय की मांग दिन-ब-दिन तेज़ होती जा रही है.

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