मोदी सरकार सोमवार को संसद में वक्फ बोर्ड के अधिकारों में कटौती करने वाला बिल ला सकती है. इस बिल के मुताबिक, सरकार वक्फ बोर्डों के उस अधिकार पर लगाम लगाना चाहती है, जिसके तहत वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित कर देते हैं. इसके बाद उस संपत्ति को वापस लेने के लिए जमीन के मालिक को कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं.
शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में वक्फ अधिनियम में 40 संशोधनों पर चर्चा हुई. बिल में प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक, वक्फ बोर्डों द्वारा संपत्तियों जिस पर दावा किया जाएगा, उसको अनिवार्य रूप से सत्यापित किया जाएगा. इसके साथ ही वक्फ बोर्डों की जो विवादित संपत्तियां हैं, उसके लिए भी बिल में अनिवार्य सत्यापन का प्रस्ताव किया गया है.
बोर्ड के पास 8.7 लाख से ज्यादा संपत्तियां
इस बिल पर संसद के अंदर और बाहर विरोध होना तय माना जा रहा है. देशभर में वक्फ बोर्ड के पास 8.7 लाख से ज्यादा संपत्तियां हैं, जो 9.4 लाख एकड़ में फैली हैं. सरकार वक्फ बोर्ड के दावे का सत्यापन करने पर विचार कर रही है. उन संपत्तियों का भी सत्यापन किया जा सकता है, जिन्हें लेकर वक्फ बोर्ड और मालिकों के बीच विवाद है. पिछले कई साल से इसमें बदलाव की मांग की जा रही है.
बिल के इसी हफ्ते पेश किए जाने की उम्मीद
यूपीए सरकार के दौरान साल 2013 में वक्फ बोर्डों को और ज्यादा व्यापक अधिकार प्रदान करने के लिए मूल अधिनियम में संशोधन लाए गए थे. इसके बाद वक्फ बोर्ड और संपत्तियों के मालिक के बीच विवाद बढ़ गया. वक्फ अधिनियम में संशोधन लाने की तैयारी लोकसभा चुनाव 2024 से काफी पहले ही शुरू हो गई थी. वक्फ अधिनियम में संशोधन करने वाला विधेयक इसी हफ्ते संसद में पेश किए जाने की उम्मीद है.
1995 में वक्फ बोर्ड को दी गईं अधिक शक्तियां
साल 1954 में वक्फ अधिनियम पारित किया गया. इसके बाद से इसमें कई बार संशोधन हुआ. 1995 में वक्फ कानून में संशोधन करते हुए वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां दे दी गईं. इसके मुताबिक वक्फ बोर्ड अगर किसी संपत्ति पर अपना दावा कर दे, तो उसे उसकी संपत्ति माना जाएगा. अगर दावा गलत है तो संपत्ति के मालिक को इसे सिद्ध करना होगा. 2013 में फिर इसमें संशोधन किए गए.